बता दें कि मंगलवार को हुई साधारण सभा की बैठक में जमकर हंगामा हुआ. भाजपा पार्षदों ने जिला प्रमुख की कार्यशैली और उनकी द्वारा किए गए अनियमितताओं को लेकर के उनको घेरा. विधायक रामलाल शर्मा ने भी वहीं मुद्दा उठाया जबकि कांग्रेस पार्षदों ने जिला प्रमुख का बचाव किया.
उप जिला प्रमुख मोहन लाल शर्मा ने कहा कि बैठक में हमारी बात नहीं सुनी जा रही है और हमारे विधायक सभा में बोल रहे थे. उनको बोलने नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि जिला प्रमुख 4 साल से अपनी मनमर्जी कर रहे हैं और कुछ पंचायतों को बिना मापदंड के ज्यादा बजट आवंटित कर दिया. इन बातों का कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है. इसलिए हम लोग वॉक आउट कर रहे हैं. शर्मा ने कहा कि सदन में हमारा बहुमत है और हम हमारे बिना वार्षिक कार्य योजना को मंजूरी भी नहीं मिल सकती. इन सब बातों के बावजूद भी मंगलवार को साधारण सभा की बैठक में वार्षिक एक्शन प्लान का अनुमोदन कर दिया गया.
जब कलेक्टर से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि वार्षिक एक्शन प्लान ध्वनि मत से पहले ही पारित कर दिया गया था. उसके बाद में बीजेपी पार्षदो ने वॉक आउट किया है.
भाजपा जिला पार्षद गिरिराज जोशी ने कहा कि जिला प्रमुख मूलचंद मीणा ने हम लोगों को असामाजिक तत्व कहा था. 3 बजे तक अनुपालन रिपोर्ट पढ़ी जा रही है। विकास की कोई बात नही की जा रही है. हमारी बातों का कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है. विकास के काम नहीं हो पा रहे हैं. 4 साल से विकास कार्य अटके हुए हैं. इसलिए हम लोग साधारण सभा का बहिष्कार करते हैं. यह कहकर गिरिराज जोशी, उप जिला प्रमुख मोहन लाल शर्मा और अन्य भाजपा पार्षद साधारण सभा की बैठक से बाहर आ गए और वॉक आउट कर दिया.
जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने ग्राम पंचायतों को खुले में शौच (ओडीएफ) से मुक्त होने के संबंध में प्रत्येक पंचायत समिति में से दो -दो ग्राम पंचायतों की रेंडम आधार पर जांच कराने के निर्देश भी दिए. ईमित्र संचालकों की मनमानी की शिकायत के संबंध में कलेक्टर ने कहा कि जो भी संचालक गड़बड़ी कर रहे हैं, उनके बारे में शिकायत मिलने पर उनको बदल दिया जाएगा. उड़ीसा जन सभा की बैठक में मूलचंद मीणा भाजपा पार्षदों के टारगेट पर रहे. अनुपालना रिपोर्ट नहीं मिलने पर भाजपा पार्षद नाराज दिखे. उनका कहना था कि जब हनुमान रिपोर्ट नहीं मिली तो विकास कैसे होगा. भाजपा सदस्यों ने कहा कि पहले हमें हमारे सवालों का जवाब चाहिए. उसके बाद सदन चलने दिया जाएगा.
पार्षद कैलाश जांगिड़ ने कहा कि पंचायत समिति में किस आधार पर स्वीकृति मंजूर हुई है. इसके लिए जांच कमेटी बनाई जाए. 30 माह पहले जो जिला प्रमुख की शिकायत की गई थी, उसकी जांच कहां तक हुई है, उससे सदन को अवगत कराया जाए. उन्होंने कहा कि संभागीय आयुक्त से जांच कलेक्टर के पास आई थी, फिर उसके बाद शिव के पास फाइल आई है और अब जांच की फाइल गायब हो गई.