जयपुर. प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी राजस्थान विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों की कमी के चलते नियमित कक्षाएं नहीं हो पा रही हैं. जिसके कारण छात्रों को खासा दिक्कतें पेश (Teacher shortage in colleges of Rajasthan) आ रही है. बीते दिनों प्रदेश के सबसे बड़े महिला महाविद्यालय महारानी कॉलेज में गेस्ट फैकल्टी को लगाकर शिक्षकों की कमियों को दूर करने की कोशिश की गई. इसी तर्ज पर अब प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में भी विद्या संबल योजना (Appointment under Vidya Sambal Yojana) के तहत रिक्त पदों पर गेस्ट फैकल्टियों की नियुक्ति की जाएगी. वहीं, कॉलेजों में स्टाफ की कमी होने के कारण पाठ्यक्रम समय पर पूरा नहीं हो पा रहे हैं. प्रदेश के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटियों के छात्र लगातार इसकी शिकायत भी करते रहे हैं.
हालांकि, राजस्थान यूनिवर्सिटी से संबद्ध महारानी कॉलेज में गेस्ट फैकल्टी लगाकर इस समस्या का समाधान निकाला गया. लेकिन कॉलेज की उप प्राचार्य डॉ. खुर्शीद जहां नकवी ने बताया कि शिक्षकों की कमी पूरी यूनिवर्सिटी में है. महारानी कॉलेज में 65 गेस्ट फैकल्टी को मंजूरी मिली है. ऐसे में अब क्लासेस सुचारू रूप से चलेंगी. उप प्राचार्य चंद्रानी सेन ने बताया कि निश्चित रूप से कक्षाएं नियमित नहीं चल पा रही थी. कुछ टीचर्स एडमिशन में व्यस्त थे और जो शिक्षक उपलब्ध थे, उन्होंने कॉमन टॉपिक पर छात्रों की कक्षाओं को मर्ज कर पढ़ाया. लेकिन अब गेस्ट फैकल्टी के आने से क्लासेस वेकेंट नहीं होंगे.
महारानी कॉलेज में 65 गेस्ट फैकल्टी को मंजूरी इसे भी पढ़ें - Rajasthan University : छात्रों का सालों का इंतजार हुआ खत्म, सीएम ने सेंट्रल लाइब्रेरी का किया उद्घाटन
इधर, राजस्थान विश्वविद्यालय और महारानी कॉलेज की तर्ज पर अब प्रदेश के दूसरे विश्वविद्यालयों और सरकारी कॉलेजों में भी गेस्ट फैकल्टी लगाकर छात्रों की नियमित कक्षाएं लगाने की तैयारी की जा रही है. गेस्ट फैकल्टी की भर्ती वर्तमान में नियमित शिक्षकों पर लागू सेवा नियम और यूजीसी भर्ती अधिनियम 2018 के तहत होगी. उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि प्राप्त आवेदनों में से विश्वविद्यालय को विभिन्न मापदंड के अनुरूप प्राप्त अंक के अनुसार वरीयता मेरिट बनानी होगी.
साथ ही एक पद पर 4 अभ्यर्थियों का पैनल बनाना होगा. वरीयता में प्रथम अभ्यर्थी को आमंत्रित किया जाएगा और सफल अभ्यर्थियों के लिए प्रति कालांश और मासिक मानदेय निर्धारित किया गया है. सहायक आचार्य को 800 और अधिकतम 45000, सह आचार्य को 1000 अधिकतम 52000 और आचार्य को 1200 अधिकतम 60000 रुपए स्वीकृत किए गए हैं. उच्च शिक्षा विभाग की ओर से वरीयता की मापदंडों के तहत स्नातक के 21 अंक, स्नातकोत्तर के 25 अंक, एम फिल के 5 अंक, पीएचडी के 25 अंक, नेट/जेआरएफ/ सेट/स्लेट के 10 अंक, शोध प्रकाशन के 6 अंक, शैक्षणिक अनुभव के 10 अंक, राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के 3 अंक, राज्य स्तरीय पुरस्कार के 2 अंक निर्धारित किए गए हैं. वहीं, पात्रता की अगर बात करें तो संबंधित विषय में स्नातकोत्तर में कम से कम 55 अंक, सेट/ नेट/ पीएचडी, जिस विषय में स्नातकोत्तर हो उसी विषय में पीएचडी की अनिवार्यता रखी गई है.