जयपुर.राजस्थान में चल रही सियासी उठापटक के बीच अब यह कहा जा रहा है कि 2 साल के अंदर ही कांग्रेस पार्टी को राजस्थान में दूसरी बार बगावत झेलनी पड़ी है (Rebel In Rajasthan PCC). लोग पूछ रहे हैं कि अगर सचिन पायलट का विरोध बगावत था ,तो क्या अशोक गहलोत कैम्प का हालिया रवैया बगावत नहीं? वो भी जब सीधे सीधे आलाकमान के निर्देशों पर बुलाई गई विधायक दल बैठक का बहिष्कार कर स्पीकर को इस्तीफा सौंप दिया गया हो? क्या आलाकमान पर दबाव बनाना बगावत की श्रेणी में नहीं आता?
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा अंगुली महेश जोशी पर उठ रही है जिन्होंने 25 सितंबर को फोन कर सभी विधायकों को धारीवाल के आवास पर बुलाया था. अंदरखाने खबर है कि उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया जा चुका है हालांकि जोशी ने कहा है कि उन्हें किसी नोटिस की जानकारी नहीं है.
अपने तरीके को किया Justify:जोशी अपने तरीके को जस्टिफाइ कर रहे हैं (Mahesh Joshi justifies his action). उन्होंनेबगावत को लेकर ये साफ किया कि उन्होंने तो केवल आलाकमान के सामने अपने उस अधिकार का इस्तेमाल किया है जो अपनी बात अपने मुखिया तक पहुंचाने के लिए कोई भी विधायक करता है. उन्होंने कहा कि मानेसर के साथ इस घटना की तुलना किया जाना गलत है, हम मानेसर की तरह न तो कहीं बाड़ेबंदी में होटल में इकट्ठे हुए हैं, न ही कोई वैसा कृत्य कर रहे हैं.
फोन की बात स्वीकारी:महेश जोशी को लेकर यह कहा जा रहा है कि उन्होंने ही विधायकों को विधायक दल की बैठक से पहले शांति धारीवाल के निवास पर आने के लिए फोन किए थे. जोशी ने ये बात स्वीकारी (Mahesh Joshi On High Command). उन्होंने कहा- हम चाहते थे कि विधायक दल से पहले आपस में विचार विमर्श करें, ताकि विधायक अलग-अलग राय और अलग-अलग सुर में कांग्रेस आलाकमान के प्रतिनिधियों से बात नहीं करें. जोशी ने कहा कि जब हम सब ने आपस में अलग से बात कर ली, तो ये सामूहिक फैसला लिया की सभी विधायकों की भावना एक है और इस भावना को आलाकमान तक पहुंचा दिया जाए, उसके बाद आलाकमान जो भी निर्देश देगा वह हमें मान्य होगा.