जयपुर. राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने सोमवार को विधानसभा में 83वें पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन (83rd Presiding Officers Meeting) को लेकर जानकारी दी. उन्होंने बताया कि राजस्थान विधानसभा में 11 और 12 जनवरी को 83वां अखिल भारतीय विधानमंडलों का सम्मेलन होने जा रहा है. इस सम्मेलन का उद्घाटन 11 जनवरी को प्रात: 10:30 बजे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला करेंगे. 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के दौरान 12 जनवरी को राजस्थान विधानसभा में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन होगा.
पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित इस सांस्कृतिक संध्या में राज्य के प्रख्यात 200 लोक कलाकार प्रस्तुति देंगे. राज्य के विभिन्न भागों के लोक कलाकार मीराबाई की भक्ति, सूफियाना और लंगा मांगणियारों की परम्परा को लोक संगीत के माध्यम से प्रस्तुत करेंगे. सम्मेलन में भाग लेने के लिए राजस्थान विधानसभा को अभी तक 21 अध्यक्ष, 12 उपाध्यक्ष, 6 चैयरमेन और 4 डिप्टी चैयरमेन की स्वीकृति मिली है.
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राजस्थान को इस सम्मेलन के आयोजन का मौका 11 वर्ष बाद मिला है. राजस्थान में पीठासीन अधिकारियों का यह चौथा सम्मेलन है. 23वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन 14-16 अक्टूबर 1957 को, 44वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन 21-22 अक्टूबर 1978 को और 76वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन 21-22 सितम्बर 2011 को जयपुर में आयोजित हुए थे. पीठासीन अधिकारियों के साथ राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया भी समारोह में भाग लेंगे.
विधानमंडलों के सचिवों का सम्मेलन भी राजस्थान में :पीठासीन अधिकारियों के साथ ही विधानमंडलों के सचिवों का 59वां सम्मेलन भी राजस्थान में हो रहा है. यह सम्मेलन 10 जनवरी को होटल मैरियट में होगा. इसमें 29 विधानसभाओं के सचिवों के आने की सूचना राजस्थान विधानसभा को मिल गई है. इन सम्मेलनों में देश के सभी राज्यों से अधिकारी आएंगे. इनको राजस्थान की संस्कृति, कला और पर्यटन को दिखाने के लिए 13 जनवरी को भ्रमण कार्यक्रम रखा गया है. तीन दलों में यह अधिकारी रणथम्भौर, अल्बर्ट हॉल, आमेर सहित विभिन्न पर्यटन स्थलों का अवलोकन करेंगे.
सम्मेलन में उद्घाटन के बाद दो सत्रों में जी-20 में लोकतंत्र की जननी भारत का नेतृत्व, संसद एवं विधानमंडलों को अधिक प्रभावी, उत्तरदायी एवं उत्पादकतायुक्त बनाने की आवश्यकता, डिजिटल संसद के साथ राज्य विधानमंडलों का संयोजीकरण और संविधान की भावना के अनुरूप विधायिका और न्यायपालिका के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाए रखने की आवश्यकता पर चर्चा होगी.