जयपुर. राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र पूरा हो चुका है यह सत्र क्योंकि बजट सत्र था. ऐसे में इसमें 21 बैठकें हुई थी. जिसमें विधायकों ने जमकर अपने प्रश्न लगाने के अधिकार का इस्तेमाल किया. इस बार विधानसभा में विधायकों ने कुल मिलाकर 7292 सवाल लगाएं. जो विधायकों के क्षेत्र से जुड़े थे. लेकिन खास बात यह है कि राजस्थान विधानसभा के 9% विधायक ऐसे भी रहे जो जनता से जुड़ा एक भी सवाल विधानसभा में नहीं लगा पाए.
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18 विधायकों में से 12 विधायक सत्ताधारी दल कांग्रेस के तो 3 विपक्षी दल भाजपा के विधायक हैं. इसके अलावा 2 निर्दलीय विधायक और एक बसपा के विधायक रहे. जिन्होंने विधानसभा सत्र में एक भी सवाल नहीं लगाया. एक भी सवाल नहीं लगाने वाले नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सिद्धि कुमारी, कांग्रेस के पूर्व नेता प्रतिपक्ष रहे हेमाराम चौधरी ,परसराम मोरदिया ,महेंद्र जीत सिंह मालवीय और निर्दलीय महादेव सिंह खंडेला जैसे वरिष्ठ विधायक भी शामिल है. इसके साथ ही पहली बार विधायक बने नेता भी जनता की समस्याओं को सदन में प्रश्न के रूप में नहीं उठा सके.
इस बार कई वरिष्ठ नेता तो सवालों से दूर रहे लेकिन इस बार जिस तरह से विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने नए विधायकों को ज्यादा मौका दिया.उससे लगा था कि ये नए विधायक सवाल पूछने में इस बार सबसे आगे रहेंगे. ऐसा हुआ भी, लेकिन उसके बाद भी कई ऐसे विधायक भी थे. जो पहली बार जीतकर विधानसभा में पहुंचे. लेकिन सदन में एक भी सवाल उन्होंने नहीं पूछा. पहली बार जीतकर आए विधायकों में से कांग्रेस के सुदर्शन सिंह रावत, विरेंद्र सिंह, प्रशांत बैरवा इस लिस्ट में शामिल है. जिन्होंने पहली बार जीतकर आने और अध्यक्ष सीपी जोशी के पर्याप्त सहयोग के बाद भी एक भी सवाल विधानसभा में नहीं उठाया.
कांग्रेस के विधायक जिन्होंने नहीं लगाया एक भी सवाल -हेमाराम चौधरी, रूपा राम, महेंद्र जीत सिंह मालवीय, विजेंद्र सिंह ओला, राजेंद्र बिधूड़ी, परसराम मोरदिया, पानाचंद मेघवाल, निर्मला सहरिया, अशोक बैरवा शामिल हैं.
पहली बार जीतकर आए कांग्रेसी युवा विधायक जिन्होंने एक भी सवाल नहीं लगाया-सुदर्शन सिंह रावत, वीरेंद्र सिंह, प्रशांत बैरवा
भाजपा के विधायक जिन्होंने नहीं लगाया एक भी सवाल-वसुंधरा राजे, सिद्धि कुमारी, सुरेंद्र सिंह राठौड़