हनुमानगढ़:अब न मिट्टी के खिलौनों की मांग है ना भोज और दावतों में मिट्टी के कुल्हड़ का प्रचलन. दीपावली पर मिट्टी के दीये बस नाम मात्र को जलते है. वर्तमान में कुंभकारों की रोजी-रोटी का सहारा नहीं रहा. उनका चाक, चाइनीज बाजार ने कुंभकारों के रोजगार पर पहरा लगा दिया है. कुंभकार अपना रोजगार छोड़ने को मजबूर है. वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि मिट्टी के दीपक की तरफ लोगों के रुझान के लिए कार्य करें. चाइनीज सामानों पर रोक लगाएं वरना वो दिन दूर नहीं जब मिट्टी से जुड़ी कोई भी वस्तु नजर नहीं आएगी.
जैसे-जैसे आज के दौर में चाइनीज सामान ने बाजारों में रौनक बढ़ाई है. वैसे-वैसे कुंभकारों का रोजगार छिनता जा रहा है. पहले दीपावली के दो ढाई माह पहले कुंभ कारों के चेहरे पर एक अलग सी रौनक होती थी. उन्हें उम्मीद होती थी कि वह मिट्टी के दीपक बेचकर इस दिवाली को खुशियों से मनाएंगे. लेकिन अब मिट्टी के दीपक नहीं बिकते हैं. उतनी मात्रा में उतनी संख्या में मिट्टी के दीपक भी नहीं बनाए जाते क्योंकि लोग अब मिट्टी के दीपक नहीं खरीदते हैं. वे खरीदते हैं तो चाइनीज लड़ियां और दूसरे सामान.
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