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3 साल बाद बेटे से मिली मां के छलके आंसू, पति की मौत के बाद दादा-दादी के कब्जे में था बच्चा

एक मां को तीन साल बाद उसका बेटा मिला. दरअसल, बात कुछ यूं है कि एक महिला, जिसके पति के मरते ही उसके 9 महीने के बेटे को उस महिला के सास-ससुर अपने साथ ले लिए और महिला को घर से अलग कर दिया. फिर हुआ कुछ यूं की महिला ने कानून की सहायता ली और अब अपने बेटे के साथ है. आगे जान लीजिए...

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बेटे से मिली मां के छलके आंसू

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Published : May 25, 2020, 6:42 PM IST

हनुमानगढ़.लॉकडाउन के दौरान मानवीयता दिखाने में पुलिस बढ़चढ़ कर सामने आ रही है. इस दौरान एक घर ऐसा भी रहा, जहां पुलिस वालों के प्रयासों से 3 साल बाद खुशियों ने दस्तक दी. जंक्शन थाने की उप निरीक्षक विशु वर्मा और शंभू दयाल के कड़े प्रयासों के बाद एक मां को 3 साल का उसका बेटा मिल गया.

बेटे से मिली मां के छलके आंसू

बता दें कि हाऊसिंग बोर्ड निवासी सिमरन अरोड़ा के पति दीपक अरोड़ा की कुछ साल पहले मौत हो गई थी. उस समय उनका बेटा 9 माह का था. पति की मौत के बाद सास-ससुर ने सिमरन को घर से अलग कर दिया और पोते को अपने पास रख लिया. इस दौरान काफी पंचायतें हुईं, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला. थक हार कर सिमरन ने पारिवारिक न्यायालय में वाद दायर किया, जिस पर 19 जनवरी को न्यायालय ने फैसला सिमरन के पक्ष में सुनाते हुए दादा-दादी को बच्चे की कस्टडी से मां को सुपुर्द करने का आदेश दिया.

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आदेश के बाद भी दादा-दादी ने बच्चे की कस्टडी मां को नहीं दी. न्यायालय के फैसले को लागू करवाने के लिए सिमरन ने काफी प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली. विगत दिनों सिमरन ने सामाजिक कार्यकर्ता नारायण नायक से संपर्क किया और पुलिस अधीक्षक से मिलकर उन्हें पूरे मामले से अवगत करवाया. साथ ही न्यायालय के आदेश की प्रति दिखाई.

इस पर पुलिस अधीक्षक राशि डोगरा ने जंक्शन थाना प्रभारी नरेश गेरा को त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए. पुलिस अधीक्षक के आदेश के बाद जंक्शन थानाधिकारी नरेश गेरा ने उप निरीक्षक विशु वर्मा और शंभू दयाल को लेकर टीम गठित की और बच्चे को मां के सुपुर्द करने के लिए दादा-दादी की खोजबीन शुरू की. सफलता हासिल करते हुए बच्चे को मां से मिलाया, जिससे पुलिस अधिकारी तो संतुष्ट और खुश दिखे ही. साथ ही शहर के लोगों ने भी खुशी जाहिर करते हुए पुलिस को धन्यवाद दिया.

आखिर मां ने क्या किया?

सिमरन के पास अपने सास-ससुर का कोई पता नहीं था, केवल एक नंबर था. उसी नंबर के आधार पर उप निरीक्षक विशु वर्मा और शंभू दयाल ने जांच शुरू की और बात की तो उन्होंने अपने आपको लालगढ़ में रहना बताया. इस पर लालगढ़ पहुंचकर बात की गई और न्यायालय के आदेशों की पालना नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी. इस पर दादा-दादी ने 3 साल के महक की कस्टडी उसकी मां को देने के लिए राजी हुए.

रविवार को हनुमानगढ़ में ही चक 20 एसएसडब्ल्यू में अन्य परिजनों की मौजूदगी में महक को उसकी मां सिमरन को सुपुर्द किया गया. महक को 3 साल बाद अपने गले लगाकर सिमरन भावुक हो गई और सिमरन ने पुलिस अधीक्षक, जंक्शन थानाधिकारी, उप निरीक्षक विशु वर्मा, शंभू दयाल और सामाजिक कार्यकर्ता नारायण नायक का आभार व्यक्त किया.

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