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हनुमानगढ़ में अंग्रेजी माध्यम सरकारी स्कूल का अभिभावक कर रहे विरोध

हनुमानगढ़ जंक्शन स्थित कैनाल कॉलोनी में राज्य के उच्च प्राथमिक स्कूल को बंद करने के आदेश दे दिए गए हैं. जिस बिल्डिंग में स्कूल चल रहा था, वहां अब महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल खुल चुका है. वहीं, बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि दूसरे स्कूल काफी दूरी पर हैं. ऐसे में वहां बच्चे नहीं जा सकेंगे और इनका भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है.

स्कूल को अंग्रेजी माध्यम किए जाने पर छात्र कर रहे विरोध

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Published : Jul 2, 2019, 8:43 PM IST

हनुमानगढ़. जिले के कैनाल कॉलोनी में राज्य के उच्च प्राथमिक स्कूल को अंग्रेजी माध्यम से करने के निर्देश दे दिए गए हैं. इसकों लेकर अभिभावक अपना विरोध जता रहे हैं. हालांकि, इस मामले में जिला कलक्टर जाकिर हुसैन का कहना है कि उन्होंने शिक्षा अधिकारी को आदेश दिए हैं कि किसी बच्चे को समस्या नहीं आनी चाहिए. उनको नजदीकी दूसरे स्कूल में स्विफ्ट किया जाए.

स्कूल को अंग्रेजी माध्यम किए जाने पर छात्र कर रहे विरोध

दरअसल, जिले में महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलने से पहले भी काफी विवाद हुआ था. लोगों ने आंदोलन किए थे कि कन्या स्कूल में स्कूल को खोला जाएगा. लेकिन, लोगों के आंदोलनों के बाद इस स्कूल को दूसरी बिल्डिंग में शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया और जिस बिल्डिंग में उच्च प्राथमिक विद्यालय चल रहा था, वहां स्कूल को खोला जा रहा है.

हिंदी मीडियम के जो बच्चे उच्च प्राथमिक विद्यालय में थे, उन बच्चों को वहां से हटाया जा रहा है, दूसरे स्कूलों में भेजा जा रहा है. ऐसे में उनके अभिभावकों में चिंता सता रही है. उन्होंने जिला कलेक्टर से मिलकर मांग की है कि स्कूल बंद न किया जाए, इसको यहीं रखा जाए. लेकिन, अभी तय नहीं हुआ कि स्कूल को रखा जाएगा या नहीं. लेकिन, बच्चों को शिफ्ट करने के आदेश शिक्षा अधिकारी को दिए जा चुके हैं. वहीं, इस मामले में जिला कलक्टर जाकिर हुसैन का कहना है कि उन्होंने शिक्षा अधिकारी को आदेश दिए हैं कि किसी बच्चे को समस्या नहीं आनी चाहिए. उनको नजदीकी दूसरे स्कूल में स्विफ्ट किया जाए.

हालांकि, बच्चों के अभिभावकों ने साफ कर दिया है कि वह बच्चों को दूसरे स्कूलों में नहीं भेजेंगे. क्योंकि वह स्कूल काफी दूरी पर हैं. ऐसे में बच्चों के साथ दुर्घटना भी हो सकती है और वह बच्चों को किसी रिक्शा के माध्यम से नहीं भेज सकते क्योंकि अगर इतने पैसे होते तो वह बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाते ही नहीं. अब देखना होगा कि बच्चों के माता-पिता की कोई सुनवाई होती है या नहीं.

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