हनुमानगढ़.देश की आजादी में लाखों लोगों ने अपनी जान की कुर्बानी दी. कई लोगों को पूरी दुनिया जानती है तो वहीं, कई ऐसे भी हैं जो अभी तक गुमनाम हैं. ऐसे ही शहीदों की याद और उनकी कुर्बानियों के बारे में लोगों को अवगत करवाने के लिए नागरिक सुरक्षामंच की ओर से शहीद स्मारक बनवाया गया. जिसका लोकार्पण करने के लिए काकोरी शहीद अशफाक उल्लाह के सुपौत्र अशफाक उल्लाह पहुंचे.
पढ़ेंःगहलोत सरकार ने तोड़ी आचार संहिता, चुनावी जिलों में भी कर डाले तबादले...भाजपा ने लगाया ये आरोप
आजादी के गुमनाम शहीदों को लोगों से रूबरू करवाने के लिए भद्रकाली मार्ग टाउन में एक शहीद स्मारक का निर्माण करवाया गया है. इस स्मारक की खास बात ये की इसका लोकार्पण करने काकोरी शहीद अशफाक उल्लाह के सुपौत्र अशफाक उल्लाह पहुंचे. वे अपने दादा के घर की मिट्टी, डायरी और अन्य सामान भी साथ लेकर आए थे. इसके साथ ही जंगे आजादी में जान देने वाले अन्य शहीदों के घर और खेत की मिट्टी यहां लाई गई है.
उल्लाह खान ने किया शहीद स्मारक का उद्घाटन अशफाक उल्लाह को एक सुसज्जित रथ में बिठाकर जंक्शन के एक होटल से टाउन स्थित शहीद स्मारक लाया गया. इस दौरान रास्ते में कई जगहों पर उनका जोर-शोर से स्वागत और अभिनंदन किया गया. इस दौरान लोगों में काफी उत्साह दिखा. हर कोई उनकी एक झलक पाने का इंतजार कर रहा था.
लोकार्पण के दौरान गुमनाम शहीदों की जानकारी जुटाकर एडवोकेट शंकर सोनी की ओर से लिखित पुस्तक 'गुमनाम क्रांतिकारी' का विमोचन भी किया गया. पुस्तक में 1857 से लेकर 1947 तक के प्रमुख आंदोलन, संघर्ष और एक्शन में मुख्य भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारियों के बारे में जानकारी दी गई है. फांसी की सजा या काले पानी की सजा भुगतने वाले जांबाजों के संघर्ष को बयां किया गया है.
अशफाक उल्लाह ने अपने संबोधन में नागरिक सुरक्षा मंच के अधिवक्ता शंकर सोनी और अन्य पदाधिकारियों के कार्य को हनुमानगढ़ के लिए मिसाल बताते हुए आभार जताया साथ ही उन्होंने कहा कि आजादी के सभी शहीदों के नाम इतिहास में नही आ पाए. सरकार को शहीदों पर राजनीति करने की बजाय गुमनाम और दूसरे शहीदों का इतिहास लोगों के सामने लाना चाहिए. इनके स्मारकों का निर्माण करना चाहिए, ताकि इतिहास से गायब किये गए शहीदों की कुर्बानियां देश जान सके.
एडवोकेट शंकर सोनी ने बताया कि आजादी की लड़ाई में बलिदान देने वाले और संघर्ष करने वाले गुमनाम शहीदों के स्मारक बनवाने के पीछे बस यही अरमान है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां इन गुमनाम वीर शहीदों को भी जान सके.
पढ़ेंःपंचायत चुनाव: भाजपा ने इन वार्डों में नहीं उतारे प्रत्याशी, अब बागियों को मनाने में जुटी, जानिए क्या है रणनीति...
सबसे खास बात ये है की वरिष्ठ अधिवक्ता शंकर सोनी अपनी जमा पूंजी से शहीद स्मारक स्थल का निर्माण करने में करीब चार साल से लग गए. इसका निर्माण बगैर सरकारी सहायता या जन सहयोग के कराया गया है. इसमे ऑडियो-वीडीओ विजुअल लाइब्रेरी का निर्माण भी करवाया गया है. शंकर सोनी ने बताया कि करीब अस्सी लाख रुपए का यह प्रोजेक्ट है.