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हनुमानगढ़ : नगरपरिषद का बिगड़ा सिस्टम, शहर में गंदगी से अटे पड़े हैं नाले

हनुमानगढ़ शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर नगर परिषद का सिस्टम फेल होता नजर आ रहा है. शहर के विभिन्न स्थानों से कचरा उठाने के लिए जिन वाहनों पर जीपीएस सिस्टम लगाया गया था, वह फेल हो चुका है. इसके चलते उन वाहनों की निगरानी भी नहीं हो पा रही है. वहीं शहर में सड़कों के किनारे नाले भी गंदगी से अटे पड़े हैं.

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Published : Jul 29, 2019, 4:45 PM IST

Drains are littered with dirt in the city

हनुमानगढ़. नगर परिषद की व्यवस्था पूरी तरह से गड़बड़ा चुकी है. शहर को स्वच्छ बनाए रखने के उद्देश्य से जो वाहन कचरा उठाने के लिए लगाए गए थे और उन पर निगरानी के लिए जीपीएस सिस्टम लगाया गया था. वे पिछले काफी दिनों से खराब हैं. ऐसे में इन वाहनों के चालक भी अपनी मनमर्जी करते हैं और सड़कों पर वार्डों में जो कचरा पड़ा है, उसे नहीं उठाते. इसके चलते चारों तरफ गंदगी फैल रही है.

वर्तमान में हनुमानगढ़ नगर परिषद में बोर्ड भाजपा का है और भाजपा के ही पार्षद कह रहे हैं कि उनकी मजबूरी है, लेकिन फिर भी वे खुलकर बोलते हैं कि नगर परिषद प्रशासन का सिस्टम फेल हो चुका है. शहर में जगह-जगह गंदगी पड़ी है. कचरे को उठाने वाले वाहन चालक अपनी मनमर्जी कर रहे हैं. वाहनों पर निगरानी के लिए जो जीपीएस सिस्टम लगाया गया था, वह फेल हो चुका है. ऐसे में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे है. नाले गंदगी से अटे पड़े हैं. परिषद का जो सफाई सिस्टम है, वह पूरी तरह से फेल हो चुका है.

हनुमानगढ़ में गंदगी से अटे पड़े हैं नाले

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वहीं कांग्रेस पार्षदों का कहना है कि जीपीएस सिस्टम बंद हो चुका है. भाजपा सरकार के समय में जीपीएस सिस्टम को शुरू करवाया गया था लेकिन वह तकनीकी कारणों से बंद हो चुका है. उसके लिए दुबारा से टेंडर करवाए जाएंगे और नए सिरे से जीपीएस सिस्टम लगवाया जाएगा. जिससे कि कचरा उठाने वाले वाहनों पर निगरानी रखी जा सके. जिससे कि शहरवासियों को गंदगी की समस्या से राहत मिल सकेगी.

शहर के अधिकतर वार्ड में वाहन नहीं पहुंचते हैं. जिससे कि कचरा कई दिनों तक वहीं पड़ा रहता है और नागरिकों की शिकायत के बाद कचरा उठाया जाता है. लेकिन मुख्य सड़कों के किनारे जो बड़े-बड़े नाले बने हुए हैं, उनकी गंदगी उठाए तो काफी समय हो चुका है. इस मामले में नगर परिषद आयुक्त का कहना है कि जीपीएस सिस्टम को रिचार्ज करवाना पड़ेगा. उसके बाद यह शुरू हो पाएगा. मतलब कि दोबारा टेंडर करवाए जाएंगे, तब जाकर ही यह सिस्टम फिर से शुरू हो सकेगा और कचरा उठाने के लिए लगाए वाहनों पर निगरानी रखी जा सकेगी.

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भाजपा और कांग्रेस के पार्षद भले ही एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे, श्रेय लेने की होड़ में लगे रहे, लेकिन इन दोनों के बीच की लड़ाई में परेशानी आम जनता को ही हुई. भले ही जीपीएस सिस्टम खराब हो गया हो, लेकिन नगर परिषद प्रशासन चाहे तो कचरा उठाने के लिए निगरानी करवाई जा सकती है और कर्मचारियों को लताड़ भी लगाई जा सकती है, लेकिन ऐसा लगता है मानो उन्हें आम जनता की परेशानी से कोई मतलब नहीं है.

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