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हनुमानगढ़ कोर्ट परिसर में खेजड़ी के पेड़ काटने पर बिश्नोई समाज आक्रोशित

हनुमानगढ़ कोर्ट परिसर में खेजड़ी के पेड़ काटने को लेकर बिश्नोई समाज के लोग सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि बिना परमिशन के दर्जनों हरे-भरे छायादार पेड़ों को काट दिया गया.

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खेजड़ी के पेड़ काटने पर बिश्नोई समाज आक्रोशित

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Published : Jun 4, 2021, 3:23 PM IST

हनुमानगढ़. कोर्ट परिसर में राज्य वृक्ष खेजड़ी के हरे-भरे छायादार पेड़ों को काटने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. बिश्नोई समाज के लोगों ने ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है. जिला न्यायालय परिसर में सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीन फैमली कोर्ट भवन का निर्माण हो रहा है. निर्माण के दौरान ठेकेदार ने परिसर में लगे वर्षों पुराने खेजड़ी के लम्बे-छोड़े दर्जनों पेड़ों को काट दिया.

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बिश्नोई समाज के अधिकवक्ताओं ने हाल ही में दर्जनों नए पेड़ भी लगाए थे. उनको भी मिट्टी के नीचे दबा दिया. सिद्धू कंस्ट्रक्शन कंपनी के पास पेड़ों की कटाई की अनुमति तक नहीं है. इसके बावजूद दर्जनों खेजड़ी के पेड़ों को काट दिया गया. पेड़ों के काटने का जैसे ही पता बिश्नोई समाज के लोगों को लगा वो न्यायालय परिसर में एकत्रित हो गए. समाज के लोगों ने ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज करने, फर्म का लाइसेंस रद्द करने की मांग की है.

खेजड़ी के पेड़ काटने पर बिश्नोई समाज आक्रोशित

बिश्नोई समाज ने कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि सरकार ने खेजड़ी के पेड़ों के संरक्षण के लिए इन्हें राज्य वृक्ष घोषित किया है. दूसरी तरफ सरकारी विभागों के अधीन चल रही कंस्ट्रक्शन कम्पनियां इनकी कटाई कर रही हैं. अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष साहिब राम बिश्नोई और वरिष्ठ अधिवक्ता रामकुमार बिश्नोई ने मामले में मुख्यमंत्री से मिलने की बात भी कही है. उनका कहना है कि जब वो वन विभाग में शिकायत करने पहुंचे तो विभाग में ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि जहां पेड़ लगे हैं वो जगह उनकी नहीं है.

मामला बढ़ता देख पुलिस भी मौके पर पहुंची. सिद्धू कंस्ट्रक्शन कंपनी के ठेकेदार ने कहा कि पेड़ों को काटने की परमिशन नहीं थी. वहीं जंक्शन थानाप्रभारी नरेश गेरा ने कहा कि समाज के लोग परिवाद देंगे तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

धार्मिक व औषधीय महत्व भी कम नहीं

खेजड़ी की महत्ता इस बात से ही आंकी जा सकती है कि जोधपुर के खेजड़ली गांव में खेजड़ी को बचाने के लिए 1730 में अमृता देवी सहित 363 लोगों ने प्राणों का त्याग दिया था. इसके नीचे बरसात में बेल वाली सब्जियां जैसे लोकी, तुरई की बुवाई कर वर्ष पर्यन्त उपज ली जा सकती है. खास बात ये की विक्रम संवत 1956 में अकाल में लोगों ने खेजड़ी को भोजन के रुप में उपयोग में लिया था. इसकी पत्तियां भेड़ बकरियों के भोजन हैं. इसकी सूखी पत्तियों को खाद के रूप में काम में लिया जाता है.

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