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डूंगरपुरः रामसा पीर के दरबार में हाजिरी लगाने निकले जातरूओं के लिए हर बार तैयार होता रामरसोड़ा

आसपुर डूंगरपुर जिले के नांदली ग्राम पंचायत के ग्रामीणों के ओर से बांसवाड़ा-डूंगरपुर मुख्य मार्ग पर रामदेवरा जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए से रामरसोड़ा लगाया जाता है. श्रद्धालु रामरसोड़े में नास्ता, भोजन के साथ कुछ पल के लिए विश्राम भी करते है. इनकी व्यवस्था के लिए नांदली ग्राम पंचायत के ग्रमीणों द्वारा पूरी देखभाल की जाती है.

डूंगरपुर रामरसोड़ा सेवा खबर, dungarpur ramrasoda service news

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Published : Aug 22, 2019, 3:04 AM IST

आसपुर (डूंगरपुर). आसपुर डूंगरपुर जिले के नांदली ग्राम पंचायत के ग्रामीणों के ओर से बांसवाड़ा-डूंगरपुर मुख्य मार्ग पर रामदेवरा जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए विगत 15 वर्षों से रामरसोड़ा लगाया जाता है. जिसमे गुजरात और मध्यप्रदेश सहित वागड़ के श्रद्धालु पिछले पन्द्रह वर्षो से यहां के रामरसोड़े में नाश्ता, भोजन के साथ कुछ पल के लिए विश्राम भी करते है. इनकी व्यवस्था के लिए नांदली ग्राम पंचायत के ग्रमीणों द्वारा पूरी देखभाल की जाती है.

बता दें कि पन्द्रह दिनों तक चलने वाले रामरसोड़े के लिए गांव के युवा, बुजुर्ग और महिलाएं भी श्रद्धालुओं को हाथ जोड़कर निवेदन करते है. नांदली पंचायत के लोगो द्वारा रामदेवरा जाने वाले यात्रिओ के लिए रामरसोड़ा सेवा का मौका देता है. राजस्थान के रूणिचा में बाबा रामदेव के दर्शन के लिए प्रतिदिन हजारों की तादाद में श्रद्धालु बांसवाड़ा से उदयपुर मार्ग से सफर करते है. मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान के श्रद्धालु दर्शन करने रामदेवरा पैदल, दुपहिया वाहन और अन्य वाहनों से जाते है.

ग्रामीणों ने रामदेवरा जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए रामरसोड़ा खोला

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आपसी भाईचारे को कायम रखना है लक्ष्यः हिम्मत सिंह नांदली ने बताया कि श्रद्धालुओं की सेवा के लिए नांदली सहित कई भामाशाह सहयोग करते है. इसके माध्यम से टेंट के नीचे जात पात, धर्म, ऊंच नीच को छोड़कर मानव सेवा का ध्यान रखा जाता है. इसी के कारण क्षेत्र में आपसी भाईचारा भी ज्यादा है. पूर्व सरपंच मंगला मीणा और भामाशाह के सहयोग से सुबह 7 से 9 तक अल्पाहार, इसके बाद रात्रि 9 बजे तक गर्म भोजन की व्यवस्था की जाती है. इसके कारण रात को ठहरने की व्यवस्था भी कर रखी है. जहां पर श्रद्धालु और ग्रामीण जन भजन कीर्तन करते है.

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छोटी सी शुरुआत को मिला सहयोग और जुड़ता गया कारवांः पूर्व सरपंच मंगला मीणा, हिम्मतसिंह नांदली, शैतानसिंह सिसोदिया ने पन्द्रह वर्ष पूर्व रामदेवरा जाने वाले यात्रियों की तकलीफों को देखा। जो सड़क किनारे टूटे फूटे मकानों में ठहर कर विश्राम करते थे. जिसको लेकर तीनो ने श्रद्धालुओं की मदद करने की आस जगी और पन्द्रह वर्ष पूर्व रामरसोड़े की शुरुआत की. इसमें आने जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए बारिश में रुकने, थोड़ी देर आराम करने और चाय नास्ता की व्यवस्था की गई है. इसके बाद प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं ने नांदली में आराम करने की परम्परा बना दी. इनकी सेवा के लिए समस्त ग्रामवासी तत्पर रहते है.

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