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Special: सात समंदर पार से लौटे डूंगरपुर के लोगों को मिला सुकून, 4 महीनों तक झेली परेशानियां

कोरोना के कारण दुनियाभर में लॉकडाउन लागू कर दिया गया. जिससे देश सहित प्रदेश के लोग भी विदेशों में फंस गए. लॉकडाउन के कारण विदेशों में ना रोजगार रहा और ना ही विदेश से घर लौटने का कोई इंतजाम. 4 महीनों तक कुवैत सहित विदेशों में फंसे डूंगरपुर जिले के लोग अब वतन वापसी कर रहे हैं. इस दौरान कुवैत से लौटे प्रवासियों ने बीते 4 माह का दुख और दर्द ईटीवी भारत से साझा किया. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...

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कुवैत से डूंगरपुर तक का सफर

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Published : Jul 3, 2020, 8:45 PM IST

डूंगरपुर. देश में अनलॉक 1.0 लागू होने के बाद भारत सरकार ने विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए वंदे भारत मिशन की शुरुआत की. जिससे अब डूंगरपुर सहित बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, उदयपुर के सैकड़ों लोग अपने घर लौटने लगे हैं. डूंगरपुर जिले में ही पिछले 7 दिनों में 351 प्रवासी कुवैत सहित अन्य देशों से लौटकर आये हैं. जैसे ही उन्होंने प्रदेश की धरती पर कदम रखा तो उनके चेहरे खिल उठे. ईटीवी भारत ने जब विदेश से लौटे लोगों से बात की तो सबसे पहले उन्होंने बोला कि भगवान दुश्मन को भी ऐसे दिन नहीं दिखाएं, जो उन्होंने 4 महीने में देखें हैं.

कुवैत से डूंगरपुर तक का सफर

ना खाने का ठिकाना ना पीने का, कमरों में कैद होकर रह गए थे- प्रवासी

कुवैत से लौटे डूंगरपुर के प्रवासियों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान चार महीने का वह समय उनके लिए सबसे ज्यादा कठिन था. कुवैत में फरवरी महीने से ही लॉकडाउन लग गया था. काम-धंधे बंद हो गए थे और घरों से निकलना भी मुश्किल हो गया था. कुछ समय बाद लॉकडाउन खुलने की उम्मीद थी, लेकिन हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ते गए. फ्लाइट बंद हो गई तो कुवैत से लौटना भी बंद हो गया. काम नहीं होने के कारण एक-दो महीने तो जैसे-तैसे कर निकाल लिए. इस दौरान एक-एक कमरे में 3 से 4 या इससे भी ज्यादा लोगों को रहना पड़ा.

कुवैत से लौटे प्रवासी

उन्होंने बताया कि मकान मालिक भी 20 से 30 हजार किराया मांगने लगे. लॉकडाउन नहीं खुला तो रोजगार के साथ आर्थिक संकट शुरू हो गया और उस समय खाने-पीने के लिए भी पैसे की समस्या आने लगी. जिसके बाद अपने घरवालों, रिश्तेदारों और दोस्तों से उधार के पैसे लेकर जुगाड़ किया गया. यह समय सबसे खराब था, जब दिक्कतें बढ़ रही थी, लेकिन उसका कोई समाधान भी नहीं था.

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कुवैत में कोरोना से हुई वागड़ के व्यक्ति की मौत

प्रवासियों ने बताया कि एक समय ऐसा था जब कुवैत में वागड़ के सैकड़ों लोग कोरोना की चपेट में आने लगे थे. उस समय उन्हें क्वॉरेंटाइन किया गया, जहां विदेशी होने के कारण उनका खास ख्याल नहीं रखा जाता था. वागड़ के कई लोगों की कोरोना के कारण कुवैत में मौत हो गई. जिससे उनका शव भी घर नहीं आ सका. तब यहां के लोगों ने पुतले बनाकर अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया. वे बताते हैं कि उस समय उनके परिवार के लोग भी सबसे ज्यादा चिंता कर रहे थे.

क्वॉरेंटाइन सेंटर के बाहर खड़े प्रवासी

फ्लाइट टिकट भी हुआ महंगा

कुवैत से लौटे गिरीश कलाल बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले सामान्य दिनों में कुवैत से भारत देश के लिए 10 से 15 हजार रुपये में टिकट मिल जाता था, लेकिन अब टिकट के लिए दोगुने पैसे वसूले जा रहे हैं. इस बार उन्हें फ्लाइट की टिकट के लिए 25 से 28 हजार रुपये तक चुकाने पड़े हैं. हालांकि, उन्होंने वतन लौटने के बाद सरकार की ओर से सुविधाएं देने की बात भी कही. इस दौरान उन्होंने सरकार के नियमों की पालना करने का भी वादा किया.

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सबसे पहले तीजवड़ क्वॉरेंटाइन सेंटर, फिर ब्लॉक में रवानगी

सीएमएचओ डॉ. महेंद्र परमार ने बताता कि कुवैत या अन्य देशों से आने वाले प्रवासियों के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. विदेश से आने वाले लोग गुजरात गांधीनगर एयरपोर्ट या जयपुर से लौट रहे हैं. उन्हें रोडवेज की बसों से डूंगरपुर तक लाया जा रहा है. इसके बाद सबसे पहले जिला स्तरीय तीजवड़ क्वॉरेंटाइन सेंटर में लाया जा रहा है. इसके लिये ब्लॉक सीएमएचओ डॉ. सुनील मईडा को प्रभारी बनाया गया है. यहां सभी यात्रियों की डॉक्टर की टीम की ओर से पहले रजिस्ट्रेशन और बाद में स्क्रीनिंग की जा रही है. इसके बाद उनके लिए नाश्ते का इंतजाम किया गया है. इन सब के बाद प्रवासियों को बसों के माध्यम से संबंधित ब्लॉक के क्वॉरेंटाइन सेंटर भेजा जा रहा है. जहां उनकी सैंपलिंग ली जा रही है और रिपोर्ट आने के बाद ही नियमों की पालना के लिए कहा जा रहा है. जिसके बाद उन्हें घर भेजा जा रहा है.

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