डूंगरपुर.चूल्हा फूंकते समय धुएं से जलती महिलाओं की आंखे और जलते हाथ. इस तस्वीर को बदलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्जवला गैस योजना की शुरूआत की. सरकार की योजना पर देश में 8 करोड़ और जनजाति बहुल डूंगरपुर में 1.90 लाख गरीब परिवारों को मुफ्त में गैस कनेक्शन बांटे गए. इस योजना को लेकर महिलाओं को कितना फायदा हुआ और क्या है हकीकत.? इस पर ईटीवी भारत मे महिलाओं से चर्चा की तो कई चौकानें वाले मामले भी सामने आए.
बता दें कि केंद्र सरकार ने देश के गरीब परिवारों की महिलाओं को राहत देने के लिए 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री उज्जवला गैस योजना की शुरूआत की गई. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में योजना इस की शुरुआत हुई और अब 3 साल हो चुके हैं. दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे हुए तो ईटीवी भारत ने प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी उज्जवला गैस योजना की हकीकत जानने का प्रयास किया.
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जनजाति बहुल डूंगरपुर में उज्ज्वला गैस योजना के तहत इन 3 सालों में 1 लाख 90 हजार गरीब महिलाओं को निःशुल्क गैस कनेक्शन दिए गए. ताकि महिलाएं लकड़ियों का चूल्हा छोड़कर गैस पर खाना बना सके. उनकी आंखें भी चूल्हें के धुएं के कारण न जले. इसकी हकीकत जानने ईटीवी भारत की टीम डूंगरपुर शहर से 5 किलोमीटर दूर मांडवा खापरड़ा गांव पंहुची. यहां झोपड़ी और कच्चे घरों में रहने वाली महिलाओं से बात की. उनके घर में रसोई के हाल काफी दयनीय हैं.
ईटीवी भारत की टीम मांडवा गांव में रहने वाली हुरज कटारा के घर में पंहुची. जहां घर के एक कोने में ही उसका रसोई घर है और दूसरे भाग में मवेशियों के बांधने की जगह. उस समय हुरज घर में खाना बनाने के लिए चूल्हा फूंक रही थी. धुंए के कारण आंखें जल रही थी, तो अपने साड़ी के पल्लू से आंसू पोछ रही थी. एक कोने में उज्ज्वला गैस योजना के तहत मिली गैस टंकी और चूल्हा पड़ा था, लेकिन वह बंद था. जब हुरज से बात की तो उसने बताया कि गैस खत्म हो गई है और दोबारा भरवाने के लिए उसके पास पैसे तक नहीं है. इस कारण गैस चूल्हे का इस्तेमाल नहीं करती है और फिर से लकड़ियों पर खाना बनाने के लिए मजबूर है. उसने आगे बताया कि उसके एक बेटे की मौत पिछले दिनों हो गई थी. घर का खर्च भी जैसे-तैसे मजदूरी कर के चलता है. ऐसे में गैस भरवाने के लिए वह 600 से 700 रुपए का इंतजाम कैसे करेगी.