आसपुर (डूंगरपुर).डूंगरपुर के वागड़ में इन दिनों विदेशी शोधार्थी गाँवो में रहकर जीवनयापन के साथ यहां के रहन सहन सीख रहे हैं. इसके साथ ही वो जैविक खेती के गुर भी सिख रहे है. स्पेन से दो भाई बहन सहित सात शोधार्थी और न्यूयॉर्क से एक विदेशी शोधार्थी पिछले एक सप्ताह से जिले के लीलवासा ग्राम पंचायत के चुण्डियावाडा गांव के ईश्वरसिंह राठौड़ के निवास पर रहकर जैविक खेती के गुर सीख रहे हैं. इसके साथ ही वो सभी भारतीय संस्कृति की जानकारी भी ले रहे है. सभी शोधार्थी एक पखवाड़े तक चुण्डियावाड़ा मे रुकेंगे.
स्पेन से दो भाई बहन सहित सात व न्यूयॉर्क से एक विदेशी शोधार्थी विगत एक सप्ताह से जिले के लीलवासा ग्राम पंचायत के चुण्डियावाडा गांव के ईश्वरसिंह राठौड़ के निवास पर रहकर जैविक खेती के गुर सीखने के साथ ही भारतीय संस्कृति की जानकारी ले रहे है. सभी शोधार्थी एक पखवाड़े तक चुण्डियावाड़ा मे रुकेंगे.
शोधार्थियों का मवेशियो से प्यार
न्यूयॉर्क से आई शोधार्थी केली लिन्ड्रन्सन को गाय और कबूतर बहुत ही प्यारे लगते है. प्राकृतिक जीवन शैली को अपनातते हुए वो आधुनिक सफाई और सफाई प्रदार्थों को सबसे बड़ी गन्दगी मानती है. प्रकृति और प्राकृतिक को ईश्वर की देन मानती है. यह जानवरो से संवाद में एक्सपर्ट और रेकी करने में भी माहिर है. केली ने बताया कि वह सिर्फ खाने में फल का ही सेवन करती है. भोजन में किसी भी प्रकार के अनाज से बनी पकवान नही खाती है.