डूंगरपुर. कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से देश और प्रदेश में 22 मार्च से लॉकडाउन लागू हो गया तो मानों सबकुछ ठहर गया. सार्वजनिक परिवहन सेवा, निजी ट्रैवल्स, जीप और ऑटो भी बंद हो गए. अनलॉक लागू होने के बाद सरकार ने रोडवेज़ बस सेवा शुरू की, लेकिन तीन माह बाद भी अब तक सार्वजिनक परिवहन सेवा पटरी पर नहीं आई है. रोडवेज बसों का संचालन अब तक सभी रूट पर शुरू नहीं हो सका है. डूंगरपुर रोडवेज में करीब 85 बसें हैं, लेकिन अब तक 54 बसों का संचालन ही हो रहा है.
वहीं निजी ट्रैवल्स, प्राइवेट वाहनों और ऑटो को भी शर्तों के आधार पर संचालन की छूट दी गई है, लेकिन बावजूद इसके लोगों की राह आसान नहीं हुई. लोगों को रोजाना मजदूरी, नौकरी या किसी न किसी काम के लिए आना-जाना पड़ता है. ऐसे में सार्वजनिक परिवहन सेवा उपलब्ध नहीं होने से वे निजी वाहनों में सफर करने को मजबूर हैं. जिसका फायदा निजी वाहन संचालक धड़ल्ले से उठा रहे हैं.
डबल किराया वसूली, लोगों की जेब पर भारी
लोग सुबह होते ही अपने कामकाज के लिए निकलते हैं, तो अपने कार्यस्थल तक जाने के लिए ऑटो, जीप या अन्य वाहन का सहारा लेते हैं. ऐसे में जहां पहले 10 रुपए का किराया लगता था, अब उसी जगह के लिए ऑटो या जीप चालक 15 से 20 रुपए तक वसूल रहे हैं.
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ईटीवी भारत ने शहर के तहसील चौराहा के पास ऑटो में बैठे लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि यह ऑटो नलवा की ओर जा रहा है. नलवा जाने के लिए पहले 15 रुपए किराया लगता था, लेकिन अब यहीं ऑटो वाला 30 रुपए किराया ले रहा है. यानी अब छोटे सफर के लिए भी ऑटो या जीप वाले को उनके मुंह मांगा किराया देना पड़ रहा है. जो एक आम व्यक्ति के जेब पर दुगुनी मार है. एक व्यक्ति जो अपने कार्यस्थल पर 20 रुपये में आना-जाना कर लेता था, उसे वहीं 40 रुपए देने पड़ रहे हैं. ऐसे में हर व्यक्ति डबल किराया चुकता कर रहा है. लेकिन विरोध करे भी तो कोई सुनने वाला नहीं है.