डूंगरपुर.जिले में पंचायत चुनाव के तहत गुरुवार को जिला प्रमुख व 10 पंचायत समितियों में प्रधान का चुनाव होना है. जिला परिषद में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं है. ऐसे में जिला प्रमुख का ताज किसके सिर सजेगा, इसे लेकर भी कई तरह के कयास लग रहे है. लेकिन, जिला प्रमुख के सबसे नजदीक कोई पार्टी है तो वह बीटीपी है, लेकिन उसे भी बहुमत के लिए 1 वोट की जरूरत है. ऐसे में कहे तो बीटीपी व कांग्रेस को एक-दूसरे की जरूरत है.
पंचायत चुनाव में रोचक मुकाबला: जिला प्रमुख के ताज के लिए बीटीपी और कांग्रेस को एक-दूसरे की जरूरत - डूंगरपुर जिला परिषद चुनाव 2020
जिले में पंचायत चुनाव के तहत गुरुवार को जिला प्रमुख व 10 पंचायत समितियों में प्रधान का चुनाव होना है. जिला परिषद में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं है. ऐसे में जिला प्रमुख का ताज किसके सिर सजेगा, इसे लेकर भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
डूंगरपुर जिला परिषद की सत्ता अब तक सबसे ज्यादा कांग्रेस के पास रही है. 2015 में पहली बार इस पर भाजपा काबिज हुई, लेकिन एक कार्यकाल के बाद ही भाजपा व कांग्रेस दोनों को मात खानी पड़ी. जिला परिषद की 27 सीटों में से सबसे अधिक सीटे बीटीपी समर्थित 13 निर्दलीय को मिली है, तो वहीं भाजपा के पास 8 व कांग्रेस के पास 6 सीट है. ऐसे में जिला प्रमुख बनाने में बीटीपी सबसे नजदीक है.
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बीटीपी को जिला प्रमुख बनाने के लिए सिर्फ एक सीट की आवश्यकता है. ऐसे में बीटीपी कांग्रेस पार्टी से समर्थन के लिए संपर्क साध सकती है, क्योकि कांग्रेस पार्टी को भी प्रधान चुनाव में बीटीपी की मदद लेनी पड़ सकती है. जिले की डूंगरपुर व सीमलवाडा दो पंचायत समितियों में कांग्रेस के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है. ऐसे में कांग्रेस को इन दोनों पंचायत समितियों में अपने प्रधान बनाने के लिए बीटीपी के मदद लेनी पड़ेगी. इधर, इस मामले में जब कांग्रेस के प्रभारी व राज्यमंत्री खानु खां बुधवाली से बात की गई तो बीटीपी को समर्थन के मामले में उन्होंने कहा कि ये फैसला कांग्रेस आलाकमान करेगा. वहीं, समर्थन के मामले में बीटीपी ने भी अपने पत्ते नहीं खोले है. बीटीपी के चौरासी से विधायक राजकुमार रोत ने कहा की किसका समर्थन लेना है या देना है वो पार्टी की कमेटी तय करेगी. लेकिन, इतना तय है की बिना समर्थन के जहां कांग्रेस अपने प्रधान नहीं बना पाएगी तो वही बीटीपी भी अपना जिला प्रमुख नहीं बना पाएगी.