डूंगरपुर. कोरोना का असर हर सेक्टर पर देखने को मिला है. धार्मिक आयोजन भी इससे अछूते नहीं रहे. सरकार की तरफ से बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए सार्वजनिक आयोजनों पर रोक लगाई गई है. जिसके चलते इस बार मोहर्रम के जुलुस पर रोक रहेगी. इस बार मोहर्रम कमेटियों की ओर से न तो ताजियों का निर्माण किया जा रहा है और न ही जुलूस निकाला जाएगा.
मोहर्रम कमेटियों की ओर से ताजियों का निर्माण नहीं करवाया जा रहा है इस बार मोहर्रम 30 अगस्त को है. अजमेर दरगाह कमेटी के पूर्व सदर और पूर्व राज्यमंत्री असरार अहमद ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि देशभर में जिस तरह के कोरोना के मामले बढ़ रहे है उसे देखते हुए मोहर्रम कमेटी ओर पंच कमेटियों की ओर से मोहर्रम के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा. सभी लोग घरों से ही मन्नते छोड़ेंगे.
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वहीं, पंच मोडासियान घाटी के सदर हाजी जियाउर्रहमान ने कहा कि प्रत्येक साल मोहर्रम पर 3 दिवसीय कार्यक्रम होते थे. जिसके तहत मोहर्रम का जुलूस निकाला जाता था. लेकिन इस बार कोरोना के कारण मोहर्रम पर ताजियों का जुलूस नहीं निकाला जाएगा. लोग घरों पर ही अल्लाह की इबादत करेंगे. जिन लोगो ने मोहर्रम की मन्नते रखी हैं वो अपने घरों पर चांदी के मोहर्रम बनाकर सांकेतिक रूप से मन्नते छोड़ेंगे.
मोहर्रम क्या है?
इराक का एक शहर है कर्बला. जहां पैगंबर मोहम्मद की बेटी फातिमा के बेटे इमाम हुसैन की हत्या की गई थी. कर्बला की जंग में एक तरफ इमाम हुसैन थे तो दूसरी तरफ यजीद था. जो उस समय खलीफा था. यजीद ने हुसैन की खंजर से गला काट दिया था. जिसके बाद से शिया मुस्लिम मोहर्रम पर मातम करते हैं.