डूंगरपुर.सरकार लोगों के स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा जोर दे रही है और इस बार कोरोना महामारी के कारण सरकार से लेकर चिकित्सा विभाग भी बचाव के साथ ही जांच करवाने का संदेश दिया जा रहा है. इसके अलावा मौसमी बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ रहा है. सरकार की ओर से लोगों को निरोगी रखने के लिए निःशुल्क जांच, दवा सहित ढेरों योजनाएं संचालित की जा रही है, जिस पर सरकार की ओर से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं लेकिन इन योजनाओं का कितना फायदा लोगों को मिल रहा है और ग्रामीण अस्पतालों में निःशुल्क जांच और दवा योजना के क्या हाल है, इसे जानने के लिए ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो कई चौकाने वाले आंकड़े सामने आए.
डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज के श्रीहरिदेव जोशी सामान्य अस्पताल में ही लैब टेक्नीशियन, सहायक और फार्मासिस्ट के कई पद लंबे समय से खाली पड़े हैं. हालांकि, जिला अस्पताल में संविदा, यूटीबी और प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से लैब टेक्नीशियन लगाकर व्यवस्थाओं को बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन स्थाई पद नहीं भरे होने से परेशानी हो रही है. जिले के ग्रामीण अस्पतालों की बात करे तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में लैब टेक्निशियन और फार्मासिस्ट के आधे से ज्यादा पद खाली हैं. हालात यह है कि कई अस्पतालों में तो लैब टेक्निशियन और फार्मासिस्ट ही नहीं है.
लैब टेक्नीशियन के 72 पद स्वीकृत, 29 ही कार्यरत, 49 पड़े खाली
डूंगरपुर जिले के अस्पतालों में लैब टेक्नीशियन के 72 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से केवल 27 लैब टेक्नीशियन के पद ही भरे हुए हैं. जबकि आधे से ज्यादा 49 पद खाली पड़े है. ऐसे में जिले के कई अस्पताल बिना लैब टेक्नीशियन के ही चल रहे हैं, जहां सरकार की निःशुल्क योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है.
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निःशुल्क जांच को लेकर मशीनें अस्पतालों में पड़ी हुई है, लेकिन लैब टेक्नीशियन नहीं होने की वजह से उन असपतालों में जांचे नहीं हो रही है, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. सरकारी अस्पताल में जांच नहीं होने से निजी लेबोरेट्री पर लोग जांच करवाने जाते है जहां जांच के नाम पर लोगो को 100 से हजारों रुपये तक आर्थिक भार झेलना पड़ रहा है.