डूंगरपुर. कृषि कानूनों के विरोध में महाराष्ट्र से 30 मार्च को शुरू हुई मिट्टी सत्याग्राह यात्रा गुरुवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के नेतृत्व में डूंगरपुर के बिछीवाड़ा पहुंची. बिछीवाड़ा के धामोद गांव में यात्रा के पंहुचने पर किसानों ने यात्रा का स्वागत किया. इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने धामोद गांव में किसानों की बैठक ली.
कृषि कानूनों के विरोध में मेधा पाटकर की दांडी सत्याग्रह यात्रा पहुंची डूंगरपुर
केंद्रीय कृषि कानून के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर ने दांडी सत्याग्रह यात्रा निकाली है. गुरुवार को यह यात्रा महाराष्ट्र से डूंगरपुर पहुंची. इस दौरान उन्होंने कहा कि नए कानूनी प्रावधानों से भारतीय संस्कृति और देश के अर्थतंत्र को खतरा है.
बैठक में मेधा पाटकर ने कृषि कानूनों से किसान को होने वाले नुकसान के बारे जानकारी दी. पाटकर ने कहा कि नए कानूनी प्रावधानों से भारतीय संस्कृति और देश के अर्थतंत्र को खतरा है. यह सिर्फ कृषकों ही नहीं बल्कि पशुपालकों और मछुआरों की आजिविका को खतरे में डाल सकता है. इसके लिए किसान पिछले 126 दिनों से भी अधिक समय से राजधानी दिल्ली की सीमा पर डटे हैं और अपना विरोध जता रहे हैं.
मेधा पाटकर ने कहा कि किसान आंदोलन और संवैधानिक मूल्यों के समर्थन में इस यात्रा की 30 मार्च को दांडी से शुरुआत की गई. उन्होंने बताया कि गुजरात के 33 जिलों में 800 गांव के किसानों ने समर्थन मिट्टी दी है. ऐसे में मिट्टी सत्याग्रह पूरे देश के विभिन्न स्थानों से होते हुए 5 अप्रैल को दिल्ली पहुंचेगी और दिल्ली पहुंचकर किसान आंदोलन का समर्थन करेगी.
पाटकर ने कहा कि किसानों के आंदोलन के समर्थन में वे लोगों को जागरूक करने के साथ ही मांगें पूरी नहीं होने तक आंदोलन जारी रखेगी. इसके बाद उनकी सत्याग्रह यात्रा उदयपुर की ओर रवाना हो गई.