डूंगरपुर.जिले में मानसून की बेरुखी से इस साल किसानों से लेकर आमजन की चिंता बढ़ गई है. मानसून को आए डेढ़ माह से ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन अब तक बारिश ने लोगों को निराश ही किया है. डूंगरपुर में अब तक पिछले सालों के मुकाबले 40 से 50 फीसदी तक कम बारिश हुई है. जिले में अच्छी बारिश नहीं हुई तो गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाएगी.
कम बारिश से सूखे की संभावना आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला पिछले कुछ सालों में मानसून की मेहर से खुश था लेकिन इस साल सुस्त मानसून के चलते पिछले साल की औसत बारिश की तुलना में काफी कम बारिश हो पाई है. आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में अगस्त के पहले हफ्ते तक जिले में 435 एमएम बारिश और वर्ष 2019 में 355 एमएम बारिश दर्ज की गई थी. जबकि इस साल मानसून की बेरुखी के चलते ये आंकड़ा 248 एमएम तक ही पंहुच पाया है. जिसके चलते जिले में अधिकांश बांध, तालाब और नदिया सूखी पड़ी है.
डूंगरपुर में कुछ जलाशयों में पानी 50 प्रतिशत से नीचे गया ईटीवी भारत की टीम ने जिले में बांध और तालाबों की स्थिति का जायजा लिया. जिसमें जिला संसाधन विभाग के अधिकारियों से भी जलाशयों को लेकर आंकड़े लिए तो डूंगरपुर जिले के कुल 22 जलाशय जल संसाधन विभाग के अधीन है. इनमें से उदयपुर संभाग के दूसरे बड़ा बांध सोमकमला आंबा बांध मुख्य है. इस बांध में कुल भराव क्षमता के मुकाबले अभी 70 प्रतिशत पानी उपलब्ध है.
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वहीं मारगिया, काठड़ी और गलियाणा जलाशयों में पानी 50 प्रतिशत से नीचे चला गया है. बाकी के सभी जलाशय पेंदे तक सूख चुके हैं. ऐसे में सिंचाई तो दूर आने वाले समय में लोगों ओर मवेशियों को पीने का पानी भी मुश्किल से मिल पायेगा. बारिश नहीं होने से जिले का भू-जल स्तर भी गिरता जा रहा है. इधर, मानसून के बाद बांधों और तालाबों के खाली रहने पर सिंचाई विभाग ने भी चिंता जताई है.
ये प्रमुख तीन बांध, जहां से होती है जलापूर्ति
जिले में आसपुर क्षेत्र में स्थित सोमकमला आंबा सहित तीन प्रमुख बांध है, जहां से जिले की आधी आबादी को पीने के लिए पेयजल उपलब्ध होता है. सोमकमला आंबा बांध से आसपुर, साबला, सागवाड़ा और दोवड़ा ब्लॉक के 71 गांवों में पेयजल की सप्लाई की जाती है.
2018 में जिले में हुई थी अच्छी बारिश वहीं लोडेश्वर और अमरपुरा बांध से सागवाड़ा क्षेत्र के कई गांवों को जलापूर्ति होती है. इसके अलावा डूंगरपूर शहर की 55 हजार की आबादी को डिमिया और एडवर्डसमंद बांध से पानी उपलब्ध होता है. जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर ने बताया कि इन बांधों में अभी पेयजल के लिए तो पानी उपलब्ध है लेकिन सिंचाई के लिए पानी नहीं हैं.
लगातार हर साल बारिश कम होने से गिर रहा जलाशयों का स्तर बहरहाल, डूंगरपुर जिले में मानसून की बेरुखी ने सभी के चेहरों पर चिंता की लकीरें ला दी है लेकिन आमजन की निगाह अभी भी इंद्रदेव पर है. लोगों को उम्मीद है कि अगस्त महीने में मानसून जरूर अपनी मेहर बरसाएंगे लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो जिलेवासियों को सूखे का सामना करना पड़ सकता है.
इस साल 40-50 फीसदी कम हुई बारिश