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SPECIAL : तौकते चक्रवात खा गया डूंगरपुर के देसी आम...तूफान से चौपट हुई पैदावार - Mango yield deteriorated in Dungarpur

तौकते तूफान ने डूंगरपुर में देसी आम की फसल को चौपट कर दिया है. इससे आम के उत्पादन से उम्मीद लगाकर बैठे किसानों की कमर टूट गई है. किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

Dungarpur Desi mango crop destroyed
तौकते चक्रवात से खराब हुई आम की उपज

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Published : May 21, 2021, 6:49 PM IST

डूंगरपुर. कोरोना संक्रमण के बाद से लोग कई तरह की परेशानियो से जूझ रहे हैं. उद्योग धंधे और रोजगार ठप हैं तो कई लोगों के रोजगार छिन गये हैं. कई लोग आर्थिक तंगी झेल रहे हैं. ऐसे में किसानों पर दोहरी मार पड़ी है. एक तरफ लॉकडाउन ने मारा तो दूसरी तरफ चक्रवात तौकते का दर्द झेलना पड़ा है.

तौकते चक्रवात से खराब हुई आम की उपज

फलों के राजा आम की बात हो और वागड़ के देसी आम की बात नहीं हो. ऐसा हो नहीं सकता. वागड़ के देसी आम का स्वाद जब एक बार किसी की जुबान पर लग जाये तो फिर उसे कभी भूला नहीं जा सकता. हर कोई वागड़ के देसी आम का मुरीद है. आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में देसी आम के असंख्य पेड़ हैं. आम की पैदावार से कई किसानों का घर चलता है. गर्मी का मौसम आने के साथ ही इस बार आम की अच्छी पैदावार की उम्मीद हर किसान को थी. खासकर वागड़ के देसी आम के किसान को कोरोना के इस संकट में आर्थिक हालात को सुधरने की उम्मीद थी.

डूंगरपुर के देसी आम

वागड़ के आम के पेड़ इस बार फलों से लक-दक थे. लेकिन किसानों को उनकी मेहनत का फल मिलता इससे पहले ही तौकते चक्रवात ने अरमानों पर पानी फेर दिया. तूफान में हजारों कच्चे आम शाखों से झड़ गए. आम के फलों से लदे हजारों पेड़ों को तूफान ने झकझोर दिया.

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आम की मिठास के कारण रहती है डिमांड

वागड़ इलाके खासकर डूंगरपुर, बांसवाडा और प्रतापगढ़ में देशी आम की बहार रहती है. यहां के आम रसीले और मीठे होते हैं. बाजार में यहां के आमों की डिमांड ज्यादा रहती है. इन आम का इस्तेमाल जूस, अचार, मुरब्बे के लिए किया जाता है. सुरपुर निवासी किसान बताते हैं कि यहां का आम शहद की तरह मीठा और कुछ खट्टा होता है. जिस कारण लोग इसे चाव के साथ खाते हैं.

आम की फसल हुई चौपट

तूफान में बर्बाद हो गई आम की फसल

किसान कमलेश और कल्याण कहते हैं कि उनके खेतो में आम के लगभग 42 पेड़ हैं. हर साल इनसे करीब 5 से 6 लाख रुपये का आम उतरते हैं. इसे बेचकर सालभर वे परिवार का गुजारा चलाते हैं. इस बार कुछ घंटों के लिए आये तूफान ने उनकी फसल को बर्बाद कर दिया.

तेज आंधी के कारण आम जमीन पर गिर गए. सभी आम खराब हो गए. कोई फल व्यापारी इन कच्चे पक्के आमों को खरीदने को तैयार नहीं है. 5 लाख रुपये के आम के 5 हजार रुपये में भी नहीं बिक रहे. डूंगरपुर-बांसवाडा ज़िलों के अन्य आम किसानों के भी यही हालात हैं. इस बार उन्हें 50 से 60 रुपये प्रति किलो आम बिकने की उम्मीद थी. लेकिन तूफान ने सारे सपनों को चूर कर दिया.

पकने से पहले ही झड़ गया आम

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दिन-रात की थी आम की रखवाली

गर्मी का मौसम शुरू होने से पहले बसंत पंचमी से ही आम के पेड़ों पर आम के फूल यानी आम्रमोर लगना शुरू हो जाते हैं. आम्रमोर लगते ही किसान आम की रखवाली शुरू कर देते हैं. इसके बाद गर्मी बढ़ने के साथ कैरी लगना शुरू होता है.

किसान रखवाली भी बढ़ा देते हैं. किसान आम के पेड़ों के नीचे ही डेरा डाल देते हैं और लगभग 4 महीने तक जब तक आम पक न जाएं, पूरी रखवाली करते हैं. लेकिन इस बार मौसम ने किसानों को दगा दे दिया.

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