डूंगरपुर. सोम, माही व जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम तट बेणेश्वर धाम लाखों जनजातियों के आस्था का केंद्र है. धाम के विकास को लेकर सरकार ने 1 साल पहले घोषणा की लेकिन इस पर कोई बड़ा काम नहीं हो सका है. घोषणा के बाद से बोर्ड के नामकरण को लेकर प्रशासन की ओर से प्रस्ताव भी भेज गए. इसके बावजूद नामकरण को लेकर भी मंजूरी सरकार के स्तर पर अटकी हुई है. इस बजट से बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड के नामकरण के साथ ही विकास को लेकर बजट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
बेणेश्वर धाम वागड़ सहित राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के लाखों जनजाति समुदाय के आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है. यहां हर साल माघ पूर्णिमा पर राष्ट्रीय जनजाति मेला भरता है. जिसमें लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते है. सरकार ने बेणेश्वर धाम के विकास को लेकर पिछले साल बोर्ड गठन की घोषणा की. जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड के नामकरण को लेकर प्रशासन से टिप्पणी मांगी थी. जिस पर प्रशासन की ओर से सुझाव भेज दिए गए है.
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बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड का नामकरण संत श्रीमावजी महाराज बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड होगा. जिसमें बेणेश्वर धाम पर पहले से 2 ट्रस्ट बने हुए है. बेणेश्वर शिवालय ट्रस्ट और हरिमंदिर के पदाधिकारी के साथ ही देवस्थान विभाग और सरकारी अधिकारी इनमें सदस्य और पदाधिकारी रहेंगे. इस धाम के विकास बोर्ड के नामकरण की फाइल अब सरकार के पास है, लेकिन एक साल बाद भी अब तक न तो नामकरण पर सरकार की मंजूरी मिली है और न ही बोर्ड का गठन किया जा सका है.
जिससे कि यह साफ हो सके कि इसमें कितने सदस्य और कितने पदाधिकारी रहेंगे. साथ ही बोर्ड में किन-किन को शामिल किया जाएगा. यह स्थिति भी अभी तक स्पष्ट नहीं है. ऐसे में इस बजट से बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड के नामकरण के साथ ही विकास को लेकर बजट मिलने की उम्मीद है.
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