डूंगरपुर.तेंदूपत्ता बीड़ी बनाने के उद्योग में काम लिया जाता है. डूंगरपुर के जंगलों में पाए जाने वाले तेंदू पत्ते की बीड़ी उद्योग में जबरदस्त मांग रहती है. वन विभाग जिले के नौ वन खंडों के लिए हर साल मार्च महीने में तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए टेंडर निकालता है. पिछले साल इन नौ वन खंडों में तेंदूपत्ता संग्रहण के टेंडर से वन विभाग को 46 लाख 24 हजार 672 रुपए की आय हुई थी.
तेंदूपत्ता संग्रहण पर कोरोना कालचक्र का ग्रहण वहीं इस बार भी वन विभाग ने मार्च महीने में तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य के टेंडर निकाला. लेकिन लॉकडाउन के चलते ठेकेदारों ने कार्य में रूचि नहीं दिखाई. इस बार जिले में नौ में से केवल 3 वन खंडों में तेंदूपत्ता संग्रहण के टेंडर हुए, जिससे विभाग को 17 लाख 47 हजार 362 की आय हुई. इस प्रकार विभाग और सरकार को पिछले साल के मुकाबले 28 लाख 77 हजार 310 रुपए का सीधा-सीधा नुकसान हुआ है. जंगल में से तेंदूपत्ता संग्रहण का समय निकलता जा रहा है. वहीं बारिश आने के साथ ही जंगलों में पड़ा तेंदूपत्ता सड़ जाएगा.
आदिवासियों के जीवन जीने का आधार यह भी पढ़ेंःस्पेशल: पाली के कपड़ा उद्योग पर मंडरा रहा 'संकट', श्रमिकों के पलायन सहित कई समस्याएं
विभाग को फायदे के साथ रोजगार भी...
वन विभाग तेंदूपत्ता संग्रहण से न केवल सरकार को लाखों की आय होती है, बल्कि क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को रोजगार भी मिलता है. ठेकेदार तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए स्थानीय आदिवासियों को काम देते हैं. वहीं बदले में मिलने वाले मेहनताने से उनका घर चलता है. लेकिन इस बार कोरोना ने सरकार के साथ इन गरीब आदिवासियों का भी गणित बिगाड़ दिया है. विभाग दावा कर रहा है कि शीघ्र ही ठेकेदारों से संपर्क कर बचे हुए क्षेत्रों में भी तेंदूपत्ता संग्रहण का काम शुरू करवाएगा.
हर साल सरकार को लाखों रुपए मिलता है राजस्व बीड़ी उद्योग पर भी बुरा असर...
वैश्विक महामारी कोरोना का असर वैसे तो हर वर्ग पर पड़ा है. लेकिन आदिवासी इलाकों में गर्मी के मौसम में आदिवासियों की आय का बड़ा स्त्रोत ठप्प होने से इन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. तेंदूपत्ता संग्रहण न होने से आने वाले समय मे बीड़ी उद्योग पर भी बुरा असर पड़ने की संभावना है. ऐसे में अब देखना होगा कि वन विभाग तेंदूपत्ता संग्रहण को लेकर दूसरे कोई ठेकेदार आते भी है या नहीं.