डूंगरपुर.पूर्व राजपरिवार के महारावल महिपाल सिंह का 92 साल की आयु में निधन हो गया. वो पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. ऐसे में उन्हें उपचार के लिए गुजरात के बड़ौदा अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां सेहत में सुधार होने पर उन्हें शुक्रवार को वापस डूंगरपुर स्थित उदयविलास पैलेस में लाया गया था. वहीं, शुक्रवार की रात को उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर से पूरे डूंगरपुर में शोक की लहर छा गई. साथ ही अपने महारावल को अंतिम विदाई देने के लिए पूर्व रियासतों के सदस्य, राजपूत समाज के लोग, शहर के प्रबुद्धजन समेत बड़ी संख्या में उनसे जुड़े लोग पैलेस पहुंचे और उनके निधन पर शोक व्यक्त किए.
महारावल की गद्दी खाली नहीं रहने की परंपरा के चलते उनके बेटे पूर्व महाराज कुंवर और पूर्व राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह को राजतिलक लगाकर नया महारावल बनाया गया. इसके बाद अंतिम संस्कार को लेकर शव यात्रा निकाली गई. इससे पहले महारावल के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग पैलेस पहुंचे, जहां सभी ने उन्हें पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. वहीं, राजपरिवार के सुरपुर राजघाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया.
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अंतिम दर्शन को पहुंचे ये लोग -निधन के बाद महारावल महिपाल सिंह के अंतिम दर्शन के लिए कई प्रबुद्धजन पहुंचे थे. इसमें महिपाल सिंह के छोटे भाई पूर्व महाराज जयसिंह, सिरोही राजपरिवार की पूर्व महारानी और बहन कीर्ति कुमारी, पूर्व महाराजा देवतसिंह, बड़े भाई पूर्व महाराज रघुवीर सिंह, संतरामपुर राजपरिवार के पूर्व महाराजा परंजय दीत्यसिंह, दांता राजपरिवार के पूर्व महाराणा रिद्धिराजसिंह, बालासिनुर नवाब सुल्तान सलाउद्दीन खान बाबी, वाकानेर गुजरात के पूर्व राजपरिवार के पूर्व महाराणा केसरी सिंह, पूर्व महारानी योगिनी कुमारी समेत कई राजपरिवार के सदस्य शामिल रहे.
महाराज कुंवर हर्षवर्धन सिंह का खून से किया राजतिलक - महारावल महिपाल सिंह के निधन के बाद डूंगरपुर राजपरिवार के पूर्व महारावल की गद्दी खाली नहीं रहने की परंपरा है. इसी परंपरा के तहत गद्दी पर महिपाल सिंह के पुत्र महाराज कुंवर और पूर्व राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह को बैठाया गया. पूर्व महारावल महिपाल सिंह के मृत शरीर के ठीक सामने दूसरी गद्दी लगाई गई. इस दौरान राजपरिवार के सदस्यों की मौजूदगी में माथूगामड़ा पाल से आए आदिवासी गमेतियों और मुखिया धुला भाई कटारा के साथ ही बाबू भाई कटारा ने हाथ पकड़कर हर्षवर्धन सिंह को महारावल की गद्दी पर बैठाया. इसके बाद सफेद पाग को निकालकर उसकी जगह केसरी महारावल की पाग उन्हें पहनाई गई. साथ ही गमेती बाबूलाल कटारा ने अंगूठे से खून निकालकर उन्हें तिलक लगाया, जिसके बाद राजतिलक की परंपरा पूरी हुई. वहीं वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूर्व महाराज कुंवर हर्षवर्धन सिंह को महारावल घोषित किया गया.
अंतिम दर्शन को उमड़ी भीड़ -शनिवार दोपहर 3 बजे बाद महारावल महिपाल सिंह की अंतिम यात्रा उदयविलास पैलेस से रवाना हुई. महिपाल सिंह के शव को पालकी में बैठाकर एक फूलों से सजे ट्रक में रखा गया. पालकी को हर्षवर्धन सिंह समेत राजपरिवार के सदस्यों ने कंधा दिया. इसके बाद शवयात्रा रवाना हुई. शवयात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से होकर गुजरी, जहां उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ी थी. इसके बाद शवयात्रा सुरपुर राजघाट पहुंची, जहा राजपरिवार के पुरोहित चोबीसा समाज की ओर से अंतिम क्रियाएं पूरी करवाई गई और फिर अंतिम संस्कार किया गया.