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पहली बार लोकसभा में डूंगरपुर के ही दोनों प्रत्याशी होंगे आमने-सामने, गुटबाजी का भी खतरा

भगोरा 25 साल की सक्रिय राजनीति में 3 बार सांसद, एक बार जिला प्रमुख और एक बार विधायक भी रह चुके है. भगोरा का अंतिम सांसद का कार्यकाल 2009 में पूरा हुआ था.

डिजाइन फोटोः कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद भगोरा और भाजपा प्रत्याशी कनकमल कटारा

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Published : Mar 30, 2019, 7:43 PM IST

डूंगरपुर.लोकसभा चुनावों को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए है. यह पहला मौका होगा जब डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवार डूंगरपुर जिले से होंगे. हालांकि कांग्रेस में बारी-बारी की परंपरा के तहत इस बार डूंगरपुर को मौका मिला है. पहली बार डूंगरपुर जिले से दोनों पार्टियों ने प्रत्याशी को उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है.

डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने ताराचंद भगोरा पर दांव खेला है वहीं भाजपा ने भी कनकमल कटारा को मैदान उतारकर मुकाबला रोचक बना दिया है. दोनों ही प्रत्याशियों का गृह जिला डूंगरपुर है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रत्याशियों के पास लंबा राजनीतिक अनुभव है. भगोरा 65 वर्ष तो कटारा उनसे 3 साल छोटे 62 वर्ष के हैं.

वीडियोः कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद भगोरा और भाजपा प्रत्याशी कनकमल कटारा दोनों डूंगरपुर से

भगोरा 25 साल की सक्रिय राजनीति में 3 बार सांसद, एक बार जिला प्रमुख और एक बार विधायक भी रह चुके है. भगोरा का अंतिम सांसद का कार्यकाल 2009 में पूरा हुआ था. वहीं भाजपा के कनकमल कटारा 28 साल से सक्रिय राजनीति में हैं. वर्तमान में यह दोनों ही नेता पिछले 10 सालों से संगठन का कामकाज देख रहे थे. कटारा का वर्ष 2008 में अंतिम बार कैबिनेट का कार्यकाल पूरा किया.

भाजपा प्रत्याशी कनकमल कटारा
1990 में राजनीति में आये और जिला महामंत्री बने. 1990 में पहला विधानसभा चुनाव लड़े और हारे. 1993, 1998-99 में विधानसभा चुनाव हारे. 1994 में राज्यसभा सदस्य बने. 2002 में सागवाड़ा विधानसभा से उपचुनाव जीते. 2003 में सागवाड़ा से विधायक बने और भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. वर्तमान में कटारा भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं.

कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद भगोरा
वर्ष 1995 में कांग्रेस से जुड़े. वर्ष 1996 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते. वर्ष 1998 में आसपुर विधानसभा चुनाव जीते. वर्ष 1999 में दूसरी बार लोकसभा सांसद बने. वर्ष 2000 में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष बने. वर्ष 2005 में जिला प्रमुख रहे. 2009 में तीसरी बार सांसद बने. 2011 में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव बने.

बीटीपी पर दोनों दलों की निगाहें
भाजपा और कांग्रेस ने लोकसभा सीट पर उम्मीदवार घोषित कर दिए है. वहीं बीटीपी ने अभी तक अपने पत्ते नही खोले हैं लेकिन बीटीपी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ वेलाराम घोघरा पहले ही कह चुके है कि उन्होंने अपना प्रत्याशी फाइनल कर लिया है लेकिन भाजपा-कांग्रेस की लिस्ट आने के बाद ही बीटीपी के प्रत्याशी की घोषणा की जाएगी. ऐसे में इस बार लोकसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला होगा, क्योकि विधानसभा चुनावो में बीटीपी ने डूंगरपूर जिले से 2 सीटों पर कब्जा जमा लिया था.

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