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डूंगरपुर: 300 साल पुरानी परंपरा को तोड़ कार से शाही स्नान करने पहुंचे बेणेश्वर धाम के महंत

बेणेश्वर धाम के महंत माघ पूर्णिमा के अवसर पर भरने वाले मेले में कार से शाही स्नान करने पहुंचे. 300 सालों से महंत को पालकी में बैठाकर यात्रा निकाली जाती थी. लेकिन कोरोना के चलते इस बार सांकेतिक यात्रा ही निकाली गई. बेणेश्वर धाम को वागड़ प्रयाग के नाम से भी जाना जाता है.

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डूंगरपुर: 300 साल पुरानी परंपरा को तोड़ कार से शाही स्नान करने पहुंचे बेणेश्वर धाम के महंत

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Published : Feb 27, 2021, 3:15 PM IST

डूंगरपुर. वागड़ प्रयाग के नाम से प्रसिद्ध बेणेश्वर धाम पर माघ पूर्णिमा के अवसर पर मुख्य मेला भर रहा है. मेले में हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. मुख्य मेले को लेकर 300 सालों से चली आ रही परंपरा को तोड़कर पहली बार सांकेतिक रूप से पालकी यात्रा निकाली गई और आबुदर्रा घाट पर शाही स्नान किया गया. जिसके साक्षी हजारों श्रद्धालु बने.

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माघ पूर्णिमा पर आयोजित इस मेले में सुबह से ही माव भक्तों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली. आबुदर्रा सहित सोम, माही व जाखम नदियों के तटों पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु डुबकी लगाते नजर आए. मुख्य मेले में हमेशा महंत की पालकी यात्रा निकाली जाती है. लेकिन कोरोना के कारण इस बार पालकी यात्रा सांकेतिक ही रही. पालकी यात्रा साबला स्थित हरि मंदिर से रवाना हुई.

बेणेश्वर धाम पर मेले का आयोजन

महंत अच्युतानंद महाराज ने पालकी में बैठने की बजाय कार से धाम पर पंहुचे. जबकि माव भक्त श्रद्धा के अनुसार पालकी में महंत की तस्वीर को रखकर जयकारे लगाते हुए 5 किलोमीटर दूर बेणेश्वर धाम पंहुचे. इसके साथ ही भगवान निष्कलंक की पालकी यात्रा भी निकाली गई.

पालकी यात्रा बेणेश्वर धाम स्थित श्रीराधे-कृष्ण मंदिर पंहुची. जहां से महंत के सानिध्य में यात्रा सोम, माही व जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम आबुदर्रा घाट पर पंहुची. जहां महंत अच्युतानंद महाराज ने शाही स्नान किया. इस दौरान महंत ने प्रसाद के रूप में श्रीफल उछाले, जिसे श्रद्धालुओ ने ग्रहण किया. इसके बाद फिर से पालकी मंदिर पंहुची, जहां पूजा-अर्चना और आरती के बाद महंत ने भक्तों को आर्शीवाद दिया. मंदिर दर्शनों के बाद लोगों ने मेले में खरीदारी की. इस दौरान पुलिस के सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नजर आए.

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