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डूंगरपुर में बने रावण परिवार के पुतलों का एमपी-गुजरात सहित कई राज्यों में होगा आतिशी दहन - डूंगरपुर आदिवासी समाज

डूंगरपुर में बांसड़ समाज के बनाए गए रावण और उनके परिवार के पुलेत की मांग प्रदेश सहित गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में होती है. बता दें कि बांसड़ समाज लोग 2 सौ साल से ऐसे पुतले का निर्माण करते हैं. साथ ही पुतले बनाने जो कमाई होता है, उसमें से 10 से 15 प्रतिशत मंदिर और सामाजिक कार्यों में दान देते हैं.

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Published : Oct 8, 2019, 3:13 PM IST

डूंगरपुर.प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले के बांसड़ समाज के लोगों के बनाए गए रावण और उनके परिवार के पुलते का राजस्थान सहित गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में दहन होता है. इस साल बांसड़ समाज को 40 से अधिक रावण के पुतले बनाने का ऑर्डर मिला है. जिसके तहत डूंगरपुर और सम्बंधित राज्यों में बांसड़ समाज के लोग रावण के पुतले का निर्माण कर रहा है.

डूंगरपुर के बांसड़ समाज के बनाए रावण के पुतले की मांग प्रदेश सहित कई राज्यों में होता है

बता दें कि शहर के बांसड़ समाज के करीब 100 से ज्यादा परिवार का यह पुश्तेनी काम है. पुतले बनाने में महारत के चलते इनकी डिमांड राजस्थान सहित गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र तक बढ़ गई. बांस को अपने औजारों से आकार देते हुए हर प्रकार के दैनिक उपयोगी सामान बनाने में माहिर बांसड़ समाज पिछले 200 सालों से रावण और उसके परिवार के पुतले बना रहे हैं. पुतले कम खर्चीले, पर्यावरण के लिए लाभकारी और सुंदर आकर्षक बनाए जाते हैं.

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बासड़ समाज की ओर से इस बार करीब 40 से ज्यादा शहरों में डूंगरपुर के कारीगर रावण के पुतले बना रहे हैं. यहां के कारीगरों के बनाए गए रावण के पुतले दशहरे के दिन आतिशी दहन के साथ जलाए जाते हैं. डूंगरपुर नगरपरिषद के ठीक पीछे स्थित बांसड़वाड़ा क्षेत्र में बांसड़ समाज के हर घर में रावण परिवार के पुतलों का निर्माण किया जा रहा है. पुतले के निर्माण में परिवारों के मुखिया से लेकर बच्चे तक जुटे रहते हैं.

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एक कारीगर ने बताया कि दशहारा में रावण और उनके परिवार के पुतले के निर्माण से जो कमाई होती है. उसका 10 से 15 प्रतिशत तक समाज के रामदेव मंदिर में दान देते हैं. जिससे मंदिर के विकास कार्यों के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा और अन्य सामाजिक कार्यों में खर्च किया जाता है.

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