डूंगरपुर. सरकार को सबसे ज्यादा कमाई देने वाला आबकारी विभाग (Excise Department) कोरोना संक्रमण का शिकार हो गया है. यही कारण है कि जिले में 50 में से 22 शराब के ठेके (liquor shops) अब तक नहीं उठे है. इसमें प्रदेश की सबसे महंगी और गुजरात राज्य की सीमा से सटी शराब की दुकान भी शामिल हैं.
वहीं शराब ठेके नहीं उठने के बाद अब सरकार ने न्युनतम रिजर्व प्राइज (minimum reserve price) 70 प्रतिशत घटा दी है, जिससे सरकार को इन 22 दुकानों से 73 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा. हालांकि विभाग को शराब के ठेके उठने के बाद इस नुकसान के कम होने की उम्मीद है.
प्रदेश में शराब को सबसे बड़ा राजस्व का जरिया भले ही माना जाता है, लेकिन इस बार शराब के ठेकेदारों ने शराब के ठेके उठाने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई. इसकी बड़ी वजह है कोरोना संक्रमण काल के साथ ही शराब के ठेकों की महंगी रिजर्व प्राइज. जिस कारण शराब के बड़े ठेकेदारों ने भी रुचि नहीं ली.
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ऐसे हालात से सरकार ने सातवीं बार फिर नीलामी की योजना बनाई है. जिसके तहत सरकार ने इन 22 शराब की दुकानों की रिजर्व प्राइज आधी से भी ज्यादा 70 प्रतिशत तक कम कर दी है. इसका असर यह हुआ कि पहले सरकार को इन 22 दुकानों से 1 अरब 17 करोड़ 37 लाख 57 हजार 320 रुपये का राजस्व मिलता. लेकिन न्यूनतम रिजर्व प्राइज घटाने के बाद अब सरकार को 43 करोड़ 93 लाख रुपये का राजस्व ही मिलेगा.
ऐसे में देखा जाए तो सरकार को सीधे 73 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान है. हालांकि इसे लेकर आबकारी विभाग का तर्क है कि शराब के ठेकों में नीलामी में कई ठेके न्यूनतम रिजर्व प्राइज से ज्यादा में उठेंगे. जिससे राजस्व घाटा कम होने की उम्मीद लगा रहे हैं.
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इधर, कंपोजिट राशि मे भी 60 फीसदी तक कमी