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डूंगरपुरः वागड़ महोत्सव के लिए मिला सिर्फ 1 लाख का बजट, अब भामाशाहों पर टिकी है नजरें - डूंगरपुर की 738वां स्थापना दिवस

डूंगरपुर की स्थापना कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन हुई थी, इसलिए इस दिन हर साल डूंगरपुर का स्थापना दिवस कार्यक्रम मनाया जाता है. इस साल भी वागड़ महोत्सव मनाया जाएगा, लेकिन इस बार स्थापना दिवस के लिए पर्यटन विभाग से सिर्फ 1 लाख रुपए का ही बजट मिला है. ऐसे में कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए प्रशासन की नजरें अब भामाशाहों पर टिकी है, जिसके जरिए कार्यक्रम को भव्य बनाया जा सके.

डूंगरपुर की 738वां स्थापना दिवस, 738th Foundation Day of Dungarpur

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Published : Nov 4, 2019, 12:50 PM IST

डूंगरपुर. जिला 6 से 8 नवंबर तक अपना 738वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. वहीं स्थापना दिवस के लिए सरकार के पर्यटन विभाग से सिर्फ 1 लाख रुपए का ही बजट मिला है. ऐसे में कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए प्रशासन की नजरें अब भामाशाहों पर टिकी है, जिसके जरिए कार्यक्रम को विराटता प्रदान की जा सके.

वागड़ महोत्सव के लिए मिला सिर्फ 1 लाख का बजट

वागड़ महोत्सव को लेकर मिले मामूली बजट के बाद प्रशासन ने भामाशाह की तलाश शुरू कर दी है. जिसमें प्रशासन को कुछ हद तक सफलता भी मिली है. वहीं अन्य तमाम जिम्मेदारियां नगर परिषद को सौंप दी गई है.

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वहीं यह आयोजन पर्यटन विभाग और प्रशासन के माध्यम से करवाया जाता है, लेकिन 1 लाख रुपए के बजट में केवल टैंट ही लग पाता. ऐसे में कलाकारों को बुलाने, ठहराने, माइक सेट और पुरस्कार के लिए भारी बजट का इंतजाम करना मुश्किल काम था. प्रशासन के पास इसके लिए कोई अतिरिक्त बजट भी नहीं था तो भामाशाहों की मदद ली गई.

वागड़ महोत्सव को लेकर अब तक प्रशासन, पर्यटन विभाग के अधिकारियों के बीच कई बैठकें भी हो चुकी है. जिसमें हर बार भामाशाहों को लेकर चर्चा हुई, जिससे कि आयोजन को भव्य बनाया जा सके. हालांकि भामाशाह मिलने के बाद अब प्रशासन पश्चिमी सांस्कृतिक केंद्र के 111 कलाकारों के दल को बुलाया गया है. इसके अलावा फेमस टीवी धारावाहिक तारक मेहता का उल्टा चश्मा के कलाकार नटू काका और बाघा भी आएंगे. वहीं बच्चों, महिलाओं और पुरुषों के लिए कई तरह की प्रतियोगिताए भी आयोजित की जाएंगी.

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बता दें कि कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन ही डूंगरपुर की स्थापना हुई थी. इसलिए इस दिन हर साल डूंगरपुर का स्थापना दिवस कार्यक्रम विराट स्तर पर मनाया जाता है. वर्ष 2005 से लेकर 2010 तक स्थापना दिवस को लेकर सरकार और पर्यटक विभाग की ओर से भारी बजट दिया जाता था. जिससे कार्यक्रम बड़े स्तर पर होते थे, लेकिन इसके बाद बजट में कमी होती गई और अब वागड़ महोत्सव भामाशाहों पर टिक गया है.

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