डूंगरपुर. सरकार की ओर से चिकित्सा सुविधा को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं चिकित्सक भी अपने स्तर से मेडिकल क्षेत्र में बदलाव के लिए नए कदम उठा रहे हैं. इसी क्रम में प्रदेश के मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. श्रीकांत असावा ने 'बाइक एंबुलेंस' डिजाइन की है जो गोल्डेन आवर में लोगों को अस्पताल तक ले जाने में सहायक होगी. इससे रोड एक्सीडेंट में घायल मरीजों को बाइक एंबुलेंस के जरिए शीघ्र अस्पताल पहुंचाया जा सकेगा.
डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज अधीक्षक ने डिजाइन की 'बाइक एम्बुलेंस' सड़क हादसों में हर साल बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं हो रहीं हैं. इसके अलावा भी कई लोग गंभीर बीमारियों से भी पीड़ित है. ऐसे में अचानक हालत बिगड़ने पर इन्हें समय पर इलाज न मिले तो जान भी जा सकती है. कई बार जाम के कारण समय पर एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती है जिससे उनकी मौत हो जाती है. जबकि हादसे के बाद एक घंटे का समय चिकित्सकीय भाषा मे 'गोल्डन आवर' कहते हैं. इसमें मरीज या घायल को अस्पताल पहुंचाने पर उसकी जिंदगी बचाई जा सकती है. ऐसे में बाइक एम्बुलेंस कारगर साबित हो सकती है.
जहां चारपहिया नहीं जा सकती वहां जाने में सक्षम
डॉ. असावा ने बताया कि देशभर में अधिकतर मौतें दुर्घटना से होती हैं जिसमें कई मौतें घायल से समय से अस्पताल नहीं पंहुचने के कारण होती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए बाइक एम्बुलेंस को डिजाइन किया गया है. खासकर डूंगरपुर, बांसवाडा और यहां का क्षेत्र जनजाति और पहाड़ी इलाका होने के साथ ही दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पक्की या चौड़ी सड़कें नहीं है, वहां बड़ी एम्बुलेंस का पंहुचना भी मुश्किल भरा है.
डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज अधीक्षक तैयार कर रहे 'बाइक एम्बुलेंस' यह भी पढ़ें:Special: मां के संक्रमित होने पर भी नवजात को कराया जा सकता है स्तनपान...
इन तमाम बातों को देखते बाइक एम्बुलेंस को डिजाइन किया गया है. बाइक एंबुलेंस उन तमाम जगहों पर पंहुच सकती है जिससे मरीज को आसानी से अस्पताल पंहुचाया जा सके. बड़ी एम्बुलेंस ट्रैफिक जाम की स्थिति में भी नहीं निकल पाती है, लेकिन बाइक एम्बुलेंस आसानी से पंहुच जाएगी. डॉ. असावा ने बताया कि इस एम्बुलेंस का नाम "म्हारो भायो" रखा गया है.
'बाइक एम्बुलेंस' का नाम "म्हारो भायो" रखा गया क्या है बाइक एम्बुलेंस की खासियत
अधीक्षक डॉ. श्रीकांत असावा ने बताया कि इस एम्बुलेंस में एक बाइक के साथ विशिष्ट प्रकार की साइड कार जुड़ी हुई रहेगी. इसमें 6 फीट के इंसान को आसानी से लेटाया जा सकता है. एम्बुलेंस में मरीज के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर, बीपी किट, थर्मल स्कैनर, ऑक्सीमीटर सहित तमाम प्रकार के अन्य चिकित्सा उपकरण भी मौजूद रहेंगे. खासकर गांव, कस्बों जहां सही सड़क मार्ग भी नहीं है या शहर की संकरी गलियों यह बाइक एम्बुलेंस कारगर होगी. एम्बुलेंस में जीपीएस सिस्टम भी लगा रहेगा, ताकि लोकेशन भी ट्रेस हो सके. इस बाइक एम्बुलेंस के साथ एक आयुष डॉक्टर के साथ पैरामेडिकल स्टाफ भी रहेगा जो तुरंत मरीज को प्राथमिक उपचार देगा. इसके साथ ही बाइक एम्बुलेंस में फायर फाइटिंग सिस्टम भी लगा रहेगा.
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कलेक्टर से मिली हरी झंडी, अब सरकार के बारी
अधीक्षक डॉ. श्रीकांत असावा ने बताया एम्बुलेंस का एक मॉडल फरीदाबाद दिल्ली में तैयार करवाया गया है. इसकी डिजाइन और उपलब्ध सुविधा किट के बारे में जिला कलेक्टर को भी अवगत करवाया है. कलेक्टर की ओर से बाइक एम्बुलेंस को लेकर हरी झंडी मिल चुकी है. डॉ. असावा ने यह भी बताया कि जिला कलेक्टर ने एम्बुलेंस के मॉडल को देखकर खुशी जताई है और इसका प्रस्ताव राज्य सरकार, नेशनल हेल्थ मिशन, ट्राइबल मिनिस्ट्री को भेजने का आश्वासन दिया है. इसके लिए मोटर बाइक की 2 कंपनियों से भी बातचीत हुई है जो इस डिजाइन को तैयार करने के लिए तैयार है.
सिर्फ 2 लाख में हो जाएगी तैयार
डॉ. असावा ने यह भी बताया कि एक बड़ी चौपहिया एम्बुलेंस 40 से 50 लाख रुपये में आती है. वहीं उसके मेंटेनेंस पर भी भारी खर्च होता है, लेकिन एक बाइक एम्बुलेंस 2 से 3 लाख रुपये में तैयार हो जाएगी. कम कीमत होने के साथ ही यह कहीं भी आसानी से आ जा सकेगी.