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डूंगरपुर: 11 साल पहले लगाए 6 लाख पौधों में एक भी जिंदा नहीं, इस बार 2.50 लाख पौधे लगाने की योजना - world record

डूंगरपुर वन विभाग ने मानसून (Monsoon) आते ही पौधारोपण (plantation in Dungarpur) करने की योजना बना ली है. इस बार 2 लाख 50 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इन पौधों की सुरक्षा कर पाएगा.

Dungarpur News, Dungarpur Forest Department
डूंगरपुर में पौधारोपण कार्यक्रम

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Published : Jul 2, 2021, 8:00 PM IST

डूंगरपुर. मानसून आ चुका है और इसे लेकर वन विभाग ने एक बार फिर से पौधरोपण की योजना तैयार कर ली है. 11 साल पहले खेमारू की पहाड़ियों पर लगाए गए 6 लाख पौधों को जिंदा रखने में नाकाम प्रशासन इस बार मानसून में 2.50 लाख पौधे लगाने जा रहा है लेकिन इसमें से कितने पौधों को बड़े होने तक जिंदा रख पाएगा. यह सबसे बड़ा सवाल है.

  • डूंगरपुर वन विभाग ने भी पौधरोपण की तैयारी कर ली है
  • इस साल 863 हेक्टेयर वन भूमि क्षेत्र पर पौधरोपण करने का लक्ष्य
  • जिले में करीब 2 लाख 50 हजार पौधे लगाए जाएंगे
    डूंगरपुर में पौधारोपण कार्यक्रम

डूंगरपुर जिले के वन विभाग के उपवन संरक्षक सुपोंग शशि ने बताया कि मानसून को लेकर वन विभाग ने पौधरोपण की तैयारियां पूरी कर ली है. इसके लिए वन विभाग की ओर से 6 रेंज की 16 नर्सरियों में पौधरोपण के लिए पौध लगभग 3 लाख से ज्यादा तैयार किए गए हैं. मानसून के बारिश के साथ ही जिलेभर में पौधरोपण शुरू कर दिया गया है.

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स्थानीय जरूरत के अनुसार लगेंगे पौधे

उपवन संरक्षक सुपोंग शशि ने बताया कि पौधरोपण में इस बार स्थानीय जरूरत को ध्यान में रखा गया है. इसी के आधार पर पौधे तैयार किए गए हैं. इस बार पौधरोपण में सागवान, महुआ, खेर, बेर, देशी बबूल, बांस, आंवला, नीम सहित अन्य स्थानीय प्रजातियों को शामिल किया जाएगा, जो यहां के क्षेत्र में आसानी से पनप जाते हैं. इसका फायदा यहां के लोगों को मिल सकेगा.

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2009 में 6 लाख पौधे लगाकर बनाया था वर्ल्ड रिकॉर्ड

डूंगरपुर जिला प्रशासन ने 11 साल पहले साल 2009 में खेमारू की पहाड़ियों पर 6 लाख से ज्यादा पौधे लगाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था. 68 हेक्टेयर में पौधरोपण पर करीब डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया गया. वर्ल्ड रिकॉर्ड (world record) के चक्कर में लगाए गए पौधे ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रहे. दूसरे साल ही पौधे सूख गए. इनमें अधिकतर पौधे रतनजोत के थे. प्रशासन वर्ल्ड रिकॉर्ड के इन पौधों को जिंदा रखने में पूरी तरह से नाकाम रहा. अभी हालात यह है कि खेमारू की पहाड़ियों पर एक भी पौधा नहीं बचा है. पहाड़िया एक बार फिर सूखी और बंजर नजर आ रही है.

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