डूंगरपुर/राजसमंद.बारिश के मौसम में डूंगरपुर के मांडवा ग्राम पंचायत में डिमिया नदी का जलस्तर बढ़ने से लोगों को किसी की मुत्यु के बाद उसे श्मशान घाट तक पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मांडवा गांव के दाता एनीकट की तलहटी में शमशान घाट होने से बहते पानी में चलकर ग्रामीणों को शव यात्रा निकालनी पड़ती है.
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यहां ग्रामीणों को शव लेकर डिमिया नदी की विपरीत धारा को पार कर निकलना पड़ता है. शव ले जाने वालों के लिए खतरा तब और भी होता है, जब नदी में पानी का वेग बढ़ जाता है. स्थानीय लोगों के मुताबिक तो साल 2006 में शव यात्रा के दौरान एक व्यक्ति की बह जाने से मौत हो चुकी है. ग्रामीणों ने इस समस्या के समाधान की मांग नहीं उठाई हो, लेकिन पिछले कई साल से समस्या जस की तस बनी हुई है. . यहां प्रशासन ने अंतिम यात्रा के लिए ना किसी पुल की व्यवस्था की व्यवस्था है और ना ही लोगों की सुविधाओं के लिए कोई अन्य उपाय किया है.
वहीं, राजसमंद में झोर ग्राम पंचायत मुख्यालय पर बना मुक्ति धाम स्थल भी इन दिनों पूर्णतया जलमग्न है, जिससे अंतिम संस्कार के लिए लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में यहां एक महिला की मृत्यु हो गई थी. शव को अंतिम संस्कार के लिए मुक्ति धाम लाया गया. लेकिन, शमशान परिसर में पानी भरे होने के कारण महिला की अंतिम यात्रा में शामिल लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.
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ग्रामीणों ने बताया कि मोक्ष धाम परिसर में उन्हें तीन फीट गहरे पानी के अंदर से होकर अंतिम संस्कार के लिए बने टिन शेड तक पहुंचना पड़ा. साथ ही मोक्ष धाम में लगे टिन शेड की हालत तो और भी बदतर थी. इस दौरान अंतिम यात्रा में शामिल कई लोग शमशान भूमि के बाहर सड़क के किनारे ही बैठ गए. शमशान भूमि की दुर्दशा को लेकर लोगों ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि शमशान घाट हर गांव के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है, जहां सभी तरह की सुविधाओं का होना जरूरी है. लेकिन, प्रशासन इसको लेकर बेपरवाह है प्रशासन को जल्द से जल्द शमशान भूमि से जल की निकासी कराकर यहां सड़क का निर्माण कराना चाहिए.