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स्पेशल: MANREGA में ये कैसा खेल! बिना सड़क बनवाए ही डकार गए पैसे, ऊपर से ग्रामीणों से भी वसूली

मामला डूंगरपुर जिले के बिछीवाड़ा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत करौली का है, जहां महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत हथोड़ गांव में 15 लाख रुपये की सीसी सड़क स्वीकृत हुई थी. पंचायत के सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी की कारगुजारी यही नहीं थमी. बल्कि उन्होंने हथोड़ गांव में मेट को भेजकर गांव में पक्की सड़क बनाने के नाम पर ग्रामीणों से भी वसूली कर डाली. मनरेगा में गांव के विकास का यह कैसा खेल, बिना पक्की सड़क बनाएं ही हड़प ली राशि और ग्रामीणों से भी वसूली

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मनरेगा में ये कैसा 'खेल'

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Published : Nov 30, 2019, 1:50 PM IST

डूंगरपुर.जिले की बिछीवाड़ा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत करौली में नरेगा योजना के कार्य में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. पंचायत में महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत 15 लाख रुपए की सीसी सड़क स्वीकृत हुई थी, लेकिन पंचायत ने सड़क बनाए बिना ही मजदूरी की राशि उठा ली.

गांव के विकास का यह कैसा खेल, बिना पक्की सड़क बनाएं ही हड़प ली राशि और ग्रामीणों से भी वसूली

इतना ही नहीं, जिस गांव में सड़क बननी है. वहां से पंचायत ने ग्रामीणों से भी सड़क बनाने के लिए राशि वसूल ली. इधर नरेगा योजना में हुई गड़बड़ी के लिए पंचायत के कार्मिक एक दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं.

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यह पूरा मामला डूंगरपुर जिले के बिछीवाड़ा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत करौली का है, जहां महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत हथोड़ गांव में 15 लाख रुपये की सीसी सड़क स्वीकृत हुई थी. लेकिन पंचायत के सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी ने मौके पर बिना सड़क बनाए ही सड़क कार्य के 11 मस्टर रोल जारी किए. साथ ही श्रम मद के एक लाख 57 हजार की राशि उठा ली. पंचायत के सरपंच व ग्राम विकास अधिकारी की कारगुजारी यही नहीं थमी. बल्कि उन्होंने हथोड़ गांव में मेट को भेजकर गांव में पक्की सड़क बनाने के नाम पर ग्रामीणों से भी वसूली कर डाली.

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इस मामले में पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी विपिनराज पोल से पूछा गया तो उन्होंने भी गड़बड़ी को स्वीकारा. लेकिन उन्होंने इस पूरी गड़बड़ी का ठीकरा संबंधित मेट पर फोड़ा. साथ ही मेट से वसूली और कार्रवाई की बात करते नजर आए.

बहराल, पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी ने मामले में मेट को दोषी ठहराया. लेकिन पंचायत के सरपंच व ग्राम विकास अधिकारी के साइन बिना पंचायत का एक पैसा इधर से उधर नहीं हो सकता है. जबकि पैसों का भुगतान भी ग्राम विकास अधिकारी द्वारा कार्य के मौका निरीक्षण के बाद ही दिया जाता है. इस मामले में ग्रामीणों ने जिला परिषद सीईओ से शिकायत करते हुए मामले की जांच करवाने की मांग की है. खैर अब देखना है की जिला परिषद सीईओ मामले में किस प्रकार की कार्रवाई दोषियों पर करते हैं.

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