डूंगरपुर. कोरोना का संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है. लॉकडाउन खुलने के संक्रमितों की संख्या में जिस तेजी से इजाफा हो रहा है, उससे स्थिति भयावह होती जा रही है. इससे राजस्थान का आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला भी अछूता नहीं है. जिले में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 2,000 पार कर गया है, जबकि मृतकों की संख्या 27 पर पहुंच गई है. वहीं अब रोजाना आ रहे पॉजिटिव केस चिंता और बढ़ा रहे हैं.
22 मार्च से प्रदेश में लॉकडाउन लागू हो गया था जिस कारण लोग घरों में कैद हो गए थे. वहीं हजारों की संख्या में लोग काम-धंधा छूटने से घर लौट आए थे. कोरोना के डर के साथ संक्रमण धीरे-धीरे फैल रहा था, लेकिन लॉकडाउन के कारण स्थिति कुछ संभली थी. जिले में कोरोना का पहला मरीज 27 मार्च को सामने आया था. जिले के आसपुर क्षेत्र के पारडा सोलंकी गांव में एक पिता-पुत्र इंदौर से लौटे थे जो पॉजिटिव आये थे, लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे मरीजों का आंकड़ा बढ़ता गया.
लॉकडाउन के बीच अप्रैल में बड़ी संख्या में प्रवासियों के लौटने की वजह से जिले में आंकड़ा तेजी से बढ़ने लगा, लेकिन इस बीच कुछ कमी भी आई. डूंगरपुर जिले में अब अनलॉक के बाद रोजाना नए मरीज सामने आ रहे हैं. जिले में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 2 हजार 108 तक पहुंच गया है. वहीं कोरोना से मरने वालों की संख्या भी 27 तक पहुंच गई है.
चिंता की बात यह है कि 25 अगस्त तक जिले में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 1 हजार था और 11 मौतें हुईं थीं. यह संक्रमण काल के शुरू के 152 दिन का आंकड़ा है, लेकिन इसके बाद महज 25 दिनों में ही पॉजिटिव मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई. इन दिनों आंकड़ा 1 हजार से बढ़कर 2000 पार कर गया है. वहीं मृतकों की संख्या भी दोगुनी से भी ज्यादा 27 हो गई है. ऐसे में जिले में कोरोना बेकाबू होता जा रहा है.
हमारी लापरवाही बड़ी वजह
कोरोना के बढ़ते प्रकोप और संक्रमण के लिए हम खुद ही जिम्मेदार हैं. जून से पहले लॉकडाउन की अवधि में हालात काफी हद तक काबू में थे, लेकिन अनलॉक होते ही सामुदायिक संक्रमण फैला ओर नतीजा सबके सामने है. मास्क का प्रयोग नहीं करना, सोशल डिस्टेंसिंग की अनदेखी, सैनिटाइजेशन या बार-बार साबुन से हाथ धोने में कोताही करना और भीड़भाड़ और सामुदायिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनना जैसे कई कारणों से बड़ी संख्या में लोग कोरोना की चपेट में आए और आंकड़ा बढ़ता गया.
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अपनों ने ही अपनों को बनाया शिकार
कोरोना के बढ़ते आंकड़े के पीछे एक वजह यह भी है कि अपनों की लापरवाही से लोग कोरोना की चपेट में आ गए. जैसे कोई व्यक्ति बाहर से आया और परिवार के साथ मिल गया. उसने न तो कोरोना की जांच करवाई और न ही डॉक्टर को दिखाया और बाद में सबकी तबीयत खराब होने पर जांच के बाद वे पॉजिटिव पाए गए. यही कारण है कि जिले में सबसे ज्यादा पॉजिटिव का आंकड़ा पारिवारिक या रिश्तेदारों का है जिनकी लापरवाही पूरे परिवार पर भारी पड़ी.
500 से ज्यादा प्रवासी, 1500 स्थानीय संक्रमित
जिले में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 2,100 पार कर गया है. इसमें मुंबई, अहमदाबाद, इंदौर या अन्य जगहों से आने वाले संक्रमित मरीजों की संख्या करीब 550 है. वहीं स्थानीय संक्रमित मरीज 1,550 से ज्यादा है. लॉकडाउन के दौरान 26 मार्च तक ग्रीन जोन में शामिल डूंगरपूर जिले ने 26 अगस्त को 152 दिनों में एक हजार का आंकड़ा छू लिया तो वहीं 2 हजार का आंकड़ा छूने में इसे महज 25 दिन लगे.