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बच्चों का बचपन छीनता मनरेगा, डूंगरपुर में पत्थर उठाते आए नजर

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Published : Dec 28, 2020, 12:32 PM IST

Updated : Dec 28, 2020, 4:42 PM IST

मनरेगा कोरोना काल में मजदूरों के लिए संजीवनी बना है, लेकिन ये मनरेगा बच्चों से उनका बचपन भी छीन रहा है. डूंगरपुर में मनरेगा योजना के तहत खुलेआम बच्चों को काम करवाया जा रहा है.

MNREGA in Dungarpur, Dungarpur hindi news
मनरेगा में काम कर रहें बच्चे

डूंगरपुर. भाटपुर पंचायत में मनरेगा योजना के तहत बाल मजदूरों से काम करवाया जा रहा था. बड़ों के साथ ही बच्चे भी पत्थर उठा रहे थे और पानी सिंचाई कर रहे थे. ऐसे सरकार के बाल संरक्षण अभियान की पोल खुल गई है और खुलेआम बच्चों से मजदूरी करवाई जा रही है.

मनरेगा में काम कर रहें बच्चे

डूंगरपुर जिले में कोरोना महामारी के बीच मनरेगा योजना वरदान साबित हो रही है. वहीं डूंगरपुर पंचायत समिति के भाटपुर ग्राम पंचायत में मनरेगा में सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. सरकार से लेकर प्रशासन और स्वयंसेवी संगठन बच्चों को शिक्षा से जोड़ने पर जोर दे रहे हैं लेकिन भाटपुर पंचायत में बच्चों से मजदूरी करवाई जा रही है. इतना ही नहीं यह बच्चे मनरेगा योजना के तहत काम पर लगे थे.

भाटपुर ग्राम पंचायत में भाटपुर तालाब की पाल का सुदृढ़ीकरण और रिंगवाल निर्माण का कार्य चल रहा है. इस कार्य पर कुल 65 मजदूर कार्यरत हैं, जिसमें से करीब 4 से 5 बाल श्रमिक काम करते हुए मिले. जिसमें 13 से 16 साल के बच्चे हैं, जो इस कार्य पर तालाब की पाल निर्माण में पानी डाल रहे थे.

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वहीं कुछ बच्चे मौके पर सिर पर पत्थर उठाकर नींव के पास डाल रहे थे. मीडिया की टीम मौके पर पंहुची तो हड़कंप मच गया और वार्ड पंच ने बच्चों को चले जाने के लिए कह दिया. इसके बाद मनरेगा में काम कर रहे बच्चे मौके से भाग गए. मौके पर मेट भी नहीं थी लेकिन जब वार्ड पंच से पूछा तो बताया कि यह बच्चे उनके माता-पिता की एवज में आ गए है लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर बच्चो को मनरेगा योजना में मजदूरी पर कैसे लगाया गया. अगर माता-पिता किसी काम से नहीं भी आ सके तो उनकी जगह बच्चों से मजदूरी नहीं करवाई जा सकती है.

Last Updated : Dec 28, 2020, 4:42 PM IST

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