डूंगरपुर. भाजपा-कांग्रेस के बाद अब भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) में भी घमासान मचा है. पांच दिन पहले ही बीटीपी में शामिल होने वाले पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा को पार्टी में प्रदेश प्रवक्ता बनाए जाने के बाद बीटीपी में भी विरोध के स्वर उठने लगे है.
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बीटीपी के प्रदेशाध्यक्ष को भी नजरअंदाज कर पार्टी में शामिल करने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. पांच दिन बाद ही पूर्व विधायक की गिरफ्तारी को प्रदेशाध्यक्ष भाजपा और कांग्रेस का षडयंत्र बता रहे हैं. बीटीपी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. वेलाराम घोघरा ने इन तमाम मुद्दों पर ईटीवी भारत के खास बातचीत की.
भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. वेलाराम घोघरा ने कहा कि बीटीपी आदिवासी क्षेत्र में दबे-कुचले लोगों की आवाज बनकर सामने आई है. पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं ने पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा को पार्टी में लिया और प्रदेश प्रवक्ता के रूप में घोषणा की गई. इसके पीछे राष्ट्रीय कार्यकारिणी को यहां से क्या फीडबैक रहा है ये तो वे ही जाने, लेकिन देवेंद्र कटारा को शामिल करने से पहले राष्ट्रीय नेताओं ने न तो प्रदेशाध्यक्ष की राय ली और न ही स्थानीय कार्यकर्ताओं को पूछा गया.
देवेंद्र कटारा की गिरफ्तारी भाजपा-कांग्रेस का षडयंत्र वेलाराम घोघरा ने इशारों ही इशारों में कहा कि इससे स्थानीय कार्यकर्ताओ में विरोध और नाराजगी थी, लेकिन उन्होंने कहा कि यह बीटीपी का अंदरूनी मामला है और जो घटनाक्रम हुआ है उसे लेकर राट्रीय नेताओं से चर्चा करने के बाद सुलझा लेंगे. उन्होंने कहा कि भले ही उनसे बिना पूछे उन्हें शामिल कर लिया गया, लेकिन अब उनकी जिम्मेदारी है कि राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ स्थानीय कार्यकर्ताओं, सामाजिक इकाइयों के बीच तालमेल रखते हुए काम करे.
डॉ. घोघरा ने कार्यकर्ताओं को नसीहत देते हुए कहा कि इस घटनाक्रम को लेकर ज्यादा खींचतान या चिंता करने की जरूरत नहीं है. इस मामले में स्थानीय कार्यकर्ता और राष्ट्रीय कार्यकारिणी मिल बैठकर बात करेंगे और घर की बात घर मे ही निपटा लेंगे. उन्होंने साफ तौर पर तो नहीं कहा, लेकिन इशारों ही इशारों में पूर्व विधायक को लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व को गलत फीडबैक मिलने की बात कही और इसी कारण पार्टी में लेते हुए प्रदेश प्रवक्ता नियुक्त किया गया.
पूर्व विधायक की गिरफ्तारी भाजपा-कांग्रेस की साजिश
बीटीपी में शामिल होने के पांच दिन बाद ही पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा की कांकरी-डूंगरी उपद्रव प्रकरण में गिरफ्तारी को लेकर बीटीपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. वेलाराम घोघरा ने कहा कि यह भाजपा-कांग्रेस की सोची-समझी साजिश है. विशेष तौर पर स्थानीय नेताओं की खिसकती राजनीतिक धरातल और बीटीपी के बढ़ते जनाधार के कारण बीटीपी को दबाने का षडयंत्र है.
देवेंद्र कटारा किस पार्टी में थे और किस पार्टी में आये यह कोई सवाल नहीं है. कांकरी-डूंगरी उपद्रव में तो कई मरे हुए लोगों के नाम भी एफआईआर में दर्ज है और इसकी वजह बीटीपी का बढ़ता जनाधार है, जिसके कारण कांग्रेस-भाजपा के लोग खेल खेल रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा कर टीएसपी क्षेत्र में लोगों को उद्धेलित करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि कांकरी-डूंगरी प्रकरण में जो केस दर्ज किए गए हैं उन केस को वापस लेने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल से भी वार्ता की गई थी और कहा था कि इस समस्या का स्थायी समाधान किया जाए, लेकिन आज तक कोई निराकरण नहीं हुआ है.
बीटीपी आदिवासी क्षेत्र में दबे-कुचले लोगों की आवाज बनकर सामने आई डॉ. घोघरा ने कहा कि कोरोना से लोग जितने नहीं डरे उससे ज्यादा तो उपद्रव केस में 400 लोगों को जेल में डाल कर डराया जा रहा है. जबकि सरकार को चाहिए कि वह आदिवासी क्षेत्र में लोगों की भलाई करे, स्थाई समाधान हो इस दिशा में काम करे. उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी को लेकर कानूनी दायरे में चर्चा करेंगे और आगे की रणनीति तैयार की जाएगी.
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भाजपा से पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा पिछले विधानसभा चुनावों में टिकट नहीं मिलने के बाद बागी होकर चुनाव लड़े थे और चुनाव हार गए. इसके बाद से भाजपा ने उन्हें निष्कासित कर दिया था और पार्टी से साइड लाइन चल रहे थे. इसके बाद से पूर्व विधायक एक बार फिर राजनीतिक जमीन तलाश रहे थे. ऐसे में विधानसभा चुनावों से पहले बीटीपी में उनके शामिल होने के पीछे विधायक की टिकिट से जोड़कर देखा जा रहा. इस पर प्रदेशाध्यक्ष वेलाराम घोघरा ने कहा कि टिकिट देना या नहीं देना स्थानीय संगठन, कार्यकर्ता मिलकर तय करेंगे, लेकिन अगर वे टिकट की आकांशा लेकर पार्टी में आये हैं तो पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय होगा.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बीटीपी में अंदरूनी नियम है कि एक बार पार्टी से जो व्यक्ति विधायक या किसी भी पद के लिए जीत जाता है तो उसे दोबारा उसी पद के लिए टिकट नहीं मिलेगा, लेकिन उसे किसी दूसरे पद के लिए टिकट मिल सकेगा.