डूंगरपुर. बीटीपी प्रदेशाध्यक्ष वेलाराम घोघरा (BTP State President) ने मंगलवार को सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता में कहा कि जनगणना 1950 के रिकॉर्ड में आदिवासी क्षेत्र को भील स्टेट कहा गया है. लेकिन इसके बाद राजनीति के कारण राजपूतों के नाम पर राजस्थान, गुजरातियों के नाम पर गुजरात, मराठियों के नाम पर महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के सटे हुए आदिवासी क्षेत्र को सोंची-समझी साजिश के तहत बांटा गया, जो अब यहां का युवा समझ चुका है.
वेलाराम घोघरा ने भाजपा से सांसद किरोड़ी लाल मीणा (BJP MP Kirodi Lal Meena) के बयानों पर पलटवार करते हुए कहा कि सांसद मीणा पार्टी एजेंडे और आरएसएस की विचारधारा के तहत बयान दे रहे हैं. वहीं, यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गणेश घोघरा ने आदिवासी हिंदू नहीं है वाला बयान तो सही दिया, लेकिन दोनों ही पार्टियां इस पर राजनीति कर रही हैं.
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उन्होंने आगे कहा कि आदिवासियों का हित कोई नहीं चाहता है. भाजपा व कांग्रेस ने आदिवासियों को वोट बैंक की राजनीति के तहत इस्तेमाल किया है. घोघरा ने कहा कि आदिवासी न तो आस्तिक है और न ही नास्तिक, आदिवासी प्रकृति को मानता और पूजता है. लेकिन आदिवासी क्षेत्र में कांग्रेस व भाजपा के लोग अपने स्वार्थ की राजनीति के कारण लोगों को बरगला रहे हैं.
क्या कहते हैं प्रदेशाध्यक्ष वेलाराम घोघरा... बीटीपी प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि भील स्टेट (Bhil State) की मांग बीटीपी (BTP) हमेशा से करती रही है और आगे भी करती रहेगी. उन्होंने कहा कि दोनों ही (BJP-Congress) सरकारों ने आदिवासी क्षेत्र के साथ कुठाराघात किया है, जिसका आने वाले समय पर क्षेत्र की जनता जवाब देगी.