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Published : May 11, 2022, 8:27 PM IST

Updated : May 11, 2022, 11:40 PM IST

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Tribal religion code: BTP ने आदिवासियों के धर्मकोड बहाल करने की उठाई मांग, डी-लिस्टिंग का किया विरोध

भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने आदिवासियों के धर्मकोड संख्या 7 को फिर से बहाल करने की मांग की (BTP demands restoring of tribal religion code) है. पार्टी का कहना है कि धर्मकोड समाप्त होने से आदिवासियों ने मजबूरन धर्म परिवर्तन कर लिया और समाज बिखर गया. वहीं पार्टी ने आरएसएएस के जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से धर्मांतरण कर चुके आदिवासियों के लिए डी-लिस्टिंग की मांग का विरोध किया है.

BTP demands restoring of tribal religion code for their security and self respect
बीटीपी ने आदिवासियों के धर्मकोड बहाल करने की उठाई मांग, डी-लिस्टिंग का किया विरोध

डूंगरपुर. भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ वेलाराम घोघरा व प्रदेश प्रवक्ता देवेन्द्र कटारा ने बुधवार को सम्मान व सुरक्षा के लिए आदिवासियों के धर्मकोड को बहाल करने की मांग उठाई. उन्होंने आरएसएस के जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से डी-लिस्टिंग की मांग का विरोध भी (BTP opposed Delisting of tribal)किया.

बुधवार को सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता में कटारा ने बताया कि वर्ष 1871 में आदिवासियों ने धर्मकोड हासिल किया था. ये धर्मकोड 1961 तक रहा. लेकिन इसके बाद कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों के धर्मकोड संख्या 7 को समाप्त कर दिया. धर्मकोड समाप्त करने से आदिवासियों को धर्म विहीन कर जबरन दूसरा धर्म अपनाने को मजबूर किया गया. 1961 से आदिवासी धर्मकोड खत्म होने से देश के कई राज्यों में आदिवासियों ने मजबूरी में अलग-अलग धर्म अपना लिया है. ऐसे में आदिवासी समाज देश में बिखर गया है. ऐसे में आदिवासियों की सुरक्षा व सम्मान के लिए सरकार को आदिवासियों को उनके धर्मकोड संख्या 7 को फिर से बहाल करने की आवश्यकता है.

बीटीपी ने आदिवासियों के धर्मकोड बहाल करने की मांग क्यों उठाई...

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डी-लिस्टिंग का किया विरोध: कटारा ने आरएसएस के जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से धर्मांतरण कर चुके आदिवासियों के लिए डी-लिस्टिंग की मांग का विरोध किया है. कटारा ने कहा की अगर डी-लिस्टिंग होती है, तो आदिवासी और जनजाति क्षेत्र का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा. साथ ही संविधान के अनुच्छेद 244 का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा. इससे आदिवासियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था खत्म हो जाएगी. इतना ही नहीं आदिवासियों के लिए आरक्षित लोकसभा व विधानसभा सीट खत्म होने के साथ कई प्रकार के नुकसान होंगे.

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बीटीपी से विधायक बन चुके नेताओं को नहीं मिलेगा दोबारा टिकट: घोघरा ने कहा कि बीटीपी में विधायक या सांसद का चुनाव लड़ने का मौका एक बार ही दिया जाता है. ऐसे में जो वर्तमान में बीटीपी से विधायक हैं, उन्हें बीटीपी दोबारा टिकट नहीं देगी. उन्होंने राजस्थान में आप पार्टी के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के सवाल पर कहा कि गुजरात में होने वाले चुनाव में बीटीपी ने आप से गठबंधन किया है. यदि गुजरात विधानसभा चुनाव परिणाम में इस गठबंधन से फायदा होता है, तो राजस्थान में भी इस पर विचार किया जा सकता है.

Last Updated : May 11, 2022, 11:40 PM IST

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