डूंगरपुर.जिले में सरकार की योजनाओं पर विभागीय अधिकारी और एजेंसियां लापरवाह नजर आ रही है. यही कारण है कि जिले में 8 साल से स्वीकृत आंगनबाड़ी केंद्र के भवन आज तक अधूरे है, जबकि सरकार की ओर से इन भवनों के लिए बजट भी दे दिया गया है. ऐसे में आंगनबाड़ी केंद्रों को खुद भवन नहीं मिला, तो आंगनबाड़ी केंद्र किसी स्कूल या किराये के भवन में संचालित किया जा रहा है.
मां और बच्चों की देखभाल के साथ ही कुपोषण को दूर करने के लिए प्रदेश मे आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. इसके लिए सरकार हर साल लाखों रुपए का बजट भी देती है, लेकिन इस पर सरकारी लापरवाही भारी पड़ रही है. डूंगरपुर जिले की बात करें, तो जिले में पिछले 8 सालों में 98 आंगनबाड़ी केंद्रों को सरकार की ओर से मंजूरी मिली. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से अलग-अलग बजट भी जारी किया गया, लेकिन इसमें से 97 भवन का निर्माण कार्य अभी भी पूरा नहीं हुआ है और यह अधूरे है.
इसमें से वर्ष 2013-2014 में 11 आंगनबाड़ी केंद्र, वर्ष 2015-16 में 59 आंगनबाड़ी केंद्र और वर्ष 2016-17 में 27 आंगनबाड़ी केंद्रों को स्वीकृति मिली थी, जो आज भी अधूरे है. इस बारे में जब ईटीवी भारत की टीम ने महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक लक्ष्मी सरपोटा से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से आंगनबाड़ी केंद्र के भवनों की मंजूरी के बाद ही निर्माण कार्य शुरू करवा दिए थे, लेकिन कार्यकारी एजेंसी की ओर से निर्माण कार्य में ढ़ीलाई के कारण यह भवन अधूरे है.