डूंगरपुर: आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में साल 2013 में शुरू हुआ राजकीय शिशु गृह बच्चों को नया जीवन दे रहा है. यहां लावारिस मिलने वाले बच्चों की बेहतर देखभाल की जाती है. फिलहाल यहां 5 बच्चे हैं. इसमें एक नवजात कुछ दिनों पहले ही मिला है. केयर टेकर सभी बच्चों का ध्यान रखती है. बच्चों की समय-समय पर स्वास्थ्य जांच भी कराई जा रही है.
अनचाहा या फिर अवैध संबंधों के कारण बच्चा पैदा होने पर उसे छोड़ दिया जाता है. लेकिन जिन बच्चों को अपनों ने ठुकराया अब पराए उनकी बेहतर परवरिश कर रहे हैं. बाल अधिकारिता विभाग (Child Empowerment Department) के मुताबिक 8 साल में पालना गृह से 36 बच्चों को गोद दिया जा चुका है. डूंगरपुर शिशु गृह से गोद लिया एक बच्चा विदेश में पल रहा है. दूसरे बच्चों को भी देश में ही डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, प्रशासनिक अधिकारी या अच्छा बागबां मिला है. उन परिवारों में बच्चों को माता-पिता की तरह ही प्यार-दुलार मिल रहा है और अच्छी शिक्षा भी मिल रही है.