डूंगरपुर. पंचायतीराज चुनावों की तारीखों का ऐलान होते ही सभी राजनैतिक दल अपने समीकरण बैठाने में जुट गए है. कांग्रेस जहां अपनी विरासत को एक बार फिर भाजपा से हथियाने के लिए संघर्ष करती दिख रही है तो वहीं भाजपा 2015 में पहली बार जिला प्रमुख के पद पर बैठी और इसे बरकरार रखने में जुटी है. वहीं इन दोनों ही पार्टियों के घमासान के बीच बीटीपी उनके इस समीकरण को बिगाड़ सकती है. लेकिन तीनों ही पार्टियां इस बार जिला परिषद में अपना बोर्ड और जिला प्रमुख बनाने का दावा कर रहे हैं.
यहां आजादी के बाद 15 जिला प्रमुख बने आजादी के बाद डूंगरपुर जिले में पंचायतीराज की शुरुआत 1959 में हुई और आज 61 साल के इतिहास में 15 जिला प्रमुख बने. हालांकि इस बीच कई बार कार्यवाहक जिला प्रमुख और प्रशासक के पास भी बागडोर रही. लेकिन डूंगरपुर में सबसे ज्यादा 13 साल तक कांग्रेस के हाथ में पंचायतीराज की बागडोर रही. वहीं 2015 में पहली बार भाजपा का बोर्ड बना और भाजपा का ही जिला प्रमुख भी रहा.
इस बीच 1996 में 5 महीने के लिए भाजपा के कार्यवाहक जिला प्रमुख रहे. लेकिन इस बार पहला मौका होगा जब कांग्रेस और भाजपा के अलावा तीसरे मोर्चे के रूप में बीटीपी भी पंचायतीराज चुनावों में उतरेगी, जिससे दोनों ही प्रमुख पार्टियों के समीकरण बिगड़ सकते हैं. हालांकि अभी तक किसी भी पार्टी ने जिला प्रमुख के चेहरे को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं और न ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है, लेकिन पार्टियां पंचायतीराज चुनावों को लेकर जातिगत ओर सभी तरह के समीकरण बनाने में जुटी है.
61 साल के इतिहास में एक बार ही महिला जिला प्रमुख रही
डूंगरपुर में जिला प्रमुख के साथ ही सभी प्रधान के पद भी एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है. इस बार लॉटरी में जिला प्रमुख का पद एसटी महिला के लिए रिजर्व है. आजादी के बाद पंचायतीराज चुनावों के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो 15 जिला प्रमुख रहे, जिसमें से 14 पुरुष जिला प्रमुख रहे. वहीं महिला को वरीयता की बात करे तो केवल एक बार ही मौका मिला है. 1996 से लेकर 2005 तक पहली बार कांग्रेस से रतनदेवी भराड़ा महिला जिला प्रमुख रही. इसके बाद यह दूसरी बार मौका है जब फिर से एसटी महिला जिला प्रमुख बनेगी.
भाजपा का दावा: जिला प्रमुख के साथ 10 पंचायत समितियों में भी भाजपा बनाएंगी प्रधान भाजपा जिलाध्यक्ष प्रभु पंड्या ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि भाजपा एक बार फिर 2015 का इतिहास दोहराएगी. इस बार भी भाजपा बहुमत के साथ जिला परिषद में बोर्ड बनाएगी और भाजपा का जिला प्रमुख बनेगा. पंड्या ने कहा कि जिले में 10 पंचायत समितियां है, इसमें भी भाजपा इस बार अपनी जीत पक्की करेगी. इसके लिए पार्टी ने रणनीति तैयार कर ली है.
जिलाध्यक्ष ने कहा कि जिलाध्यक्ष के चेहरे के सवाल पर कहा कि कमल का फूल ही भाजपा का चेहरा है और जनता इसी पर अपना वोट करेगी. उन्होंने प्रदेश की कांग्रेस सरकार को फेल बताते हुए कहा कि कांग्रेस ने जनता के साथ धोखा किया है. बेरोजगार, किसान, मजदूर, व्यापारी और आम आदमी परेशान है, लेकिन प्रदेश की सरकार में मुख्यमंत्री और सचिन पायलट अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे है. उन्हें आमजनता की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है.
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार, जिसका फायदा मिलेगा जनता को: गणेश घोघरा
यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा ने कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है. कांग्रेस हमेशा ही गरीब, मजदूर और किसानों के साथ रही है. गरीबों के हितों के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाई. कोरोनाकाल में भी राज्य सरकार ने सभी वर्ग तक मदद पंहुचाई, जिससे किसी भी व्यक्ति को परेशानी नहीं हुई. कांग्रेस की योजनाओं से आम जनता को फायदा हुआ है और लोग इसे जानते हैं. इसलिए आम जनता कांग्रेस को वोट करेगी और कांग्रेस का जिला प्रमुख और प्रधान बनेंगे. इससे पंचायतीराज से लेकर प्रदेश तक एक कड़ी जुड़ जाएगी और क्षेत्र का विकास होगा.
बीटीपी पहली बार मैदान में उतरेगी, बिगड़ेंगे समीकरण
विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बाद अब पंचायतीराज चुनावों में भी पहली बार भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेगी. इसके लिए बीटीपी में पहले ही ऐलान कर दिया है. वहीं बीटीपी अब तक जातिगत आदिवासी वोटों राजनीति करती आई है. ऐसे में बीटीपी भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ेगी. बता दें कि बीटीपी ने पहली बार मे ही विधानसभा चुनावों में जिले से चौरासी और सागवाड़ा सीट पर जीत दर्ज की थी, इसके बाद से उनके हौसले बुलंद है. वहीं लोकसभा चुनावों में भी बीटीपी उम्मीदवार ने करीब 4 लाख वोट हासिल किए थे, ऐसे में दोनों ही प्रमुख पार्टियों के लिए भी मुकाबला टक्कर का रहेगा.