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Dungarpur Fake Document Case : फर्जी दस्तावेजों से नर्सिंग कॉलेज में प्रवेश लेने के मामले में 15 दोषियों को कारावास, 2 को बरी किया - Rajasthan hindi news

एसीजेएम कोर्ट ने फर्जी दस्तावेज से नर्सिग कॉलेज में प्रवेश लेने के मामले में 15 दोषियों को सजा कैद की सजा सुनाई (Fifteen accused sentenced to imprisonment) है. जबकि कोर्ट ने मामले में 2 लोगों को बरी किया है.

Fifteen accused sentenced to imprisonment
पुलिस में आरोपियों की तस्वीर

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Published : May 23, 2022, 6:01 PM IST

डूंगरपुर. जिले की एसीजेएम कोर्ट ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर नर्सिंग कॉलेज में प्रवेश लेने के मामले में फैसला सुनाते हुए 15 आरोपियों को दोषी करार दिया (Fifteen accused sentenced to imprisonment) है. मामले में एसीजेएम कोर्ट ने 13 दोषियों को 5-5 साल का कारावास की सजा दी है. वहीं, 2 दोषियों को 3-3 साल की कैद की सजा सुनाई है, जबकि कोर्ट ने 2 आरोपियों को बरी किया है. बरी मामले में कोर्ट ने पुलिस की जांच में लापरवाही मानते हुए पुलिस डीजी को पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है.

सरकारी वकील के अनुसार 27 जुलाई 2003 को डूंगरपुर जिले के चितरी थाने में 20 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी कर कक्षा 12वीं की फर्जी अंकतालिका से नर्सिंग कॉलेज में प्रवेश लेने का मामला दर्ज हुआ था. रिपोर्ट में डूंगरपुर शहर निवासी नरेंद्र सिंह, रामोर निवासी सुमित्रा, चितरी निवासी रमेश चन्द्र पाटीदार, सिलोही निवासी सुरेश चन्द्र पाटीदार, चितरी निवासी मुकेश चन्द्र पटेल, पाली निवासी ज्वाला प्रसाद, बावड़ी निवासी धर्मदास डामोर, खुमानपुरा निवासी रेखा पाटीदार, उदैया निवासी परेश पाटीदार, अम्बाडा निवासी सीमा भील, जोगपुर निवासी ललिता पाटीदार, अम्बाडा निवासी दिनेश मीणा, उदयपुर निवासी गोविन्द सिंह, नरनीया निवासी अमर सिंह, नवलश्याम निवासी गोपाल, जोगपुर निवासी विनोद पाटीदार, उदयपुर निवासी अमीर खान, चितरी निवासी रमेश पाटीदार, जोगपुर निवासी कंकू पाटीदार और उदयपुर निवासी राकेश सिंह पर फर्जी अंकतालिका से उदयपुर व पाली जिलो में नर्सिंग कालेजो में दाखिला लेने का आरोप था.

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मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने अपनी जांच शुरू की, जिसमें पुलिस ने 17 लोगों को आरोपी मानते हुए उन्हें गिरफ्तार किया. पुलिस ने अपना अनुसंधान पूरा करते हुए कोर्ट में अपना चालान पेश किया. इसी मामले में डूंगरपुर एसीजेएम कोर्ट ने सोमवार अंतिम सुनवाई करते हुए 13 आरोपियों को 5 साल के साधारण कारावास व 50-50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है. गोविंद सिंह व ज्वाला प्रसाद को 3 साल की जेल व 30-30 हजार रुपये जुर्माने का फैसला दिया है. साथ ही कोर्ट ने माना है की तत्कालीन रिटायर्ड एसआई मोहमद मुस्तफा, थानाधिकारी सवाई सिंह व दर्शन सिंह ने जांच में लापरवाही बरती, जिससे आरोपियों को संदेह का लाभ मिला. ऐसे में तीनों को खिलाफ विभागीय कारवाई के लिए डीजीपी पुलिस को अनुशंसा की है.

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