नीरज शर्मा-धौलपुर.चंबल के बीहड़ और दस्युओं के खौफ के लिए धौलपुर हमेशा बदनाम रहा है. इस जिले का नाम सुनने के साथ ही मन में उभरती तस्वीरें हमेशा जिले के विकास में बाधक बनी रहती है. लेकिन इसी जिले की किस्मत को यहां के पत्थरों ने बुलंदियों पर पहुंचाया है. रेड स्टोन (Red Stone) ने जिले की पहचान को ही बदलकर रख दिया है. ये पत्थर जिले को शौहरत के साथ ही पैसा भी दे रहा है. यहां के पत्थर भारत की कई प्रमुख इमारतों की खूबसूरती को चार चांद लगा रहे हैं.
इस पत्थर ने अपनी खूबसूरती एवं गुणवत्ता के कारण देश-विदेश में अलग पहचान स्थापित (World famous red stone) की है. धौलपुर जिले का लाल पत्थर लाइफ लाइन (red stone is lifeline for Dholpur) माना जाता है. इस पत्थर के कारोबार पर 20 हजार से अधिक परिवारों की आजीविका टिकी हुई है. सदियों से जुड़े परिवार इस कारोबार से अपनी आजीविका चलाते आ रहे हैं. लेकिन मौजूदा वक्त में सरकार की नीतियों की बदौलत इस कारोबार में उथल-पुथल का दौर देखने को मिल रहा है.
इन इमारतों में हुआ लाल पत्थर का उपयोगः धौलपुर के लाल पत्थर की डिमांड (Demand for red stone) देश-विदेश में सदियों से चली आ रही है. दिल्ली का लाल किला, संसद भवन, क़ुतुब मीनार, अक्षरधाम मंदिर, फतेहपुर सीकरी दरगाह, आगरा का लाल किला समेत देश की तमाम इमारतों में रेड स्टोन का उपयोग 100 फीसदी हुआ है. देश में आने वाले सैलानियों को रेड स्टोन सबसे अधिक आकर्षित करता है.
1915 से रेड स्टोन कारोबार की हुई थी विधिवत शुरुआतः जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष मुकेश कुमार अग्रोहा ने बताया वैसे तो लाल पत्थर कारोबार (business of red stone in Dholpur) की शुरुआत मुगल काल से हुई थी. मुगल काल के शासक हुमायुं को इस कारोबार को बढ़ावा देने का श्रेय जाता है. लेकिन आजादी से पूर्व ब्रिटिश हुकूमत में रेड स्टोन कारोबार की शुरुआत 1915 से धौलपुर स्टोन नाम की कंपनी ने की थी.
रेड स्टोन के लिए बिछाई थी स्पेशल रेल लाइनः स्टोन संघ के जिला अध्यक्ष मुन्नालाल मंगल ने बताया कि मुगल काल में रेड स्टोन कारोबार की शुरुआत (business of red stone in Dholpur) हुई थी. जिले में बाड़ी, सरमथुरा, बसेड़ी एवं धौलपुर क्षेत्र के कुछ इलाकों में संचालित है. सबसे अधिक यह कारोबार सरमथुरा एवं बसेड़ी क्षेत्र में संचालित है. जिले के लगभग 20,000 परिवारों के सदस्यों की आजीविका रेड स्टोन कारोबार पर टिकी हुई है. रेड स्टोन कारोबार (business of red stone in Dholpur) को देखते हुए स्पेशल रेल लाइन बिछाई गई थी. उन्होंने बताया आजादी से पूर्व ब्रिटिश हुकूमत में 1917 से लेकर 1937 तक संसद भवन का निर्माण इसी पत्थर से कराया गया था. मंगल ने बताया सरमथुरा, बाड़ी और बसेड़ी के डांग क्षेत्रों में रेड स्टोन की अधिक निकासी होती है. 200 से अधिक गैंगसा यूनिट पत्थर की कटिंग कर सुंदरीकरण का रूप देते हैं. उन्होंने बताया रेड स्टोन कारोबार में अधिकांश डांग क्षेत्र और ग्रामीण लोगों के परिवारों को आजीविका मिल रही है. इसके साथ ही खदानों में ट्रैक्टर, क्रेन मशीन, पॉलिश मशीन, ट्रक के माध्यम से इस कारोबार को संचालित करके लोग आजीविका चला रहे हैं.
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दुबई एवं यूरोप में सबसे अधिक डिमांडः मुन्नालाल मंगल ने बताया देश के कोने कोने में रेड स्टोन सप्लाई (Supply of red stone in Foreing Country) किया जाता है. साथ ही दुबई और यूरोप में सबसे अधिक रेड स्टोन की डिमांड है. उनका कहना है कि दुबई और सऊदी अरब में रेड स्टोन का सबसे अधिक उपयोग किया जा रहा है. सऊदी अरब में सबसे अधिक मस्जिदों के निर्माण, रेड स्टोन से ही कराए जा रहे हैं. दुबई में रेड स्टोन का उपयोग अधिकांश बिल्डिंग, मॉल आदि में किया जा रहा है.