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Water Crises In Dholpur: आश्वासन तो मिला लेकिन पानी नहीं...जिला मुख्यालय के पास दर्जनभर गांवों जल संकट से जूझ रहे लोग - etv bharat Rajasthan news

धौलपुर जिला मुख्यालय से सटे दर्जनों गांवों में अभी तक लोगों को पानी तक नहीं (water crises in dholpur) मिल पा रहा है. मुख्यालय से सटे दर्जनभर गांवों में लोगों को तीन किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है, तब जाकर पानी नसीब होता है. प्रशासन और राजनेताओं से कई बार समस्या बताई गई लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला.

water crises in dholpur
पानी को तरस रहे लोग

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Published : Apr 24, 2022, 7:33 PM IST

धौलपुर.भैसेना गांव की रहने वाली 55 वर्षीय रामवती को आज भी पानी भरने के लिए 3 किलोमीटर दूर चलकर जाना पड़ता है. भीषण गर्मी हो कड़ाके की ठंड घर में खाना पकाने व अन्य काम के लिए वह आज भी सुबह शाम पानी के लिए तीन किलोमीटर सिर पर पानी का घड़ा या बर्तन रखकर दूर तक जाती है और पानी भरकर लाती है. गर्मी के दिनों में तो पांव में छाले तक पड़ जाते हैं लेकिन मजबूरी में उसे यह काम करना ही पड़ता है. यह दर्द भैसेना गांव की रामवती का ही नहीं बल्कि आसपास के गांव के तमाम लोगों को है. कई बार नेताओं और जिला प्रशासन की चौखट पर भी लोग समस्या लेकर जा चुके हैं लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात.

धौलपुर जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर अंदर मौजूद भैंसेना, समोला, राजघाट, भैंसाख, फूंसपुरा सहित दर्जन भर गांव के लोगों को आज भी पानी का संकट (water crises in dholpur) झेलना पड़ रहा है. ग्रामीणों को रोजाना चंबल नदी से पानी भरकर (Villagers bring water from Chambal river) लाना पड़ता है या फिर गांव से 3 किलोमीटर दूर से साइकिल पर और सिर पर रखकर पानी का बर्तन लाना पड़ता हैं. पानी की समस्या गांव के लोगों के लिए नई नहीं है.

पानी को तरस रहे लोग

ईटीवी भारत की टीम ने इन गांवों में पहुंचकर पानी की समस्या की हकीकत जानी. पता चला कि गांव के 200 से 300 लोग पानी की समस्या के चलते पहले ही गांव छोड़कर जा चुके हैं. बाकि गांव के लोग कई बार चुनावों में मतदान का बहिष्कार भी कर चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें प्रशासन की ओर से सिर्फ वादे ही मिले हैं, लेकिन पानी नहीं मिला.

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भरतपुर, अलवर तक जा रहा चंबल का पानी
बारहमासी चंबल नदी का पानी धौलपुर से भरतपुर और अलवर के लोगों की प्यास बुझा रहा है. जिले में सैकड़ों गांव आज भी ऐसे हैं जिन्हें चंबल का पानी ग्रामीणों को नसीब नहीं है. सरकार की कई योजनाओं की हकीकत इन गांव तक पहुंचकर दम तोड़ देती हैं. प्रशासन गांव तक अभियान भी शायद इन गांवों में नहीं पहुंच सका है. गांव में आज भी लोग यहां बुनियादी सुविधाएं मिलने की आस में ही जीवन जी रहे हैं.

दूर से भरकर लाना पड़ता है पानी

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कुओं में है खारा पानी
भैंसेना गांव के ग्रामीण बताते हैं कि यूं तो उनके गांव में कई कुएं हैं लेकिन इनमें कई सूख चुके हैं तो कुछ ऐसे हैं जिसमें खारा पानी है. इस वजह से गांव में लोगों दूरदराज से पानी भरकर लाना पड़ता है. कई बार गांव वालों ने जिला प्रशासन के समक्ष अपनी समस्याएं रखीं लेकिन उसपर कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ. दिन में कई बार लोगों को दूरदराज से पानी भरकर लाना पड़ता है. इससे महिलाओं को भी दिक्कत झेलनी पड़ती है.

बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं की नजर में ये बीहड़ गांव
चंबल किनारे बीहड़ में बसे इन गांवों में पीने के लिए पानी भले नहीं है, लेकिन इन गांव पर बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं की नजर हमेशा जमी रहती है. चंबल किनारे बसे एक गांव में बॉलीवुड की कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है. बैंडिट क्वीन, पान सिंह तोमर, सोन चिरैया, मोक्ष सहित कई फिल्मों के निर्माता और अभिनेताओं ने अपनी कई फिल्मों के सीन इन गांव में फिल्माए हैं. खास बात ये है कि रुपहले पर्दे पर नजर आने आने यहां के एक गांव में आज भी लोगों करीब तीन किलोमीटर दूर से पानी भरकर लाना पड़ता है. कई दशकों से यहां के ग्रामीण पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन और राजनेताओं की चौखट पर भी कई बार अपनी समस्या बताई, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. ऐसे में ग्रामीणों में काफी रोष भी है.

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