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SPECIAL : शेरपुर के इस सरकारी स्कूल ने पेश की मिसाल...

धौलपुर में इन दिनों एक विद्यालय ऐसा है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है. ट्रेन के आकार में डिजाइन किए गए इस सरकारी स्कूल को पांच साल पहले बंद कर दिया गया था. लेकिन स्कूली स्टाफ की लगन और मेहनत से इसे फिर से शुरु किया गया है. जो अब जिले में मॉडल बनकर विशेष पहचान बना चुका है. देखिए धौलपुर से ये खास रिपोर्ट...

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धौलपुर में सरकारी स्कूल को दिया ट्रेन का आकार

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Published : Feb 16, 2020, 7:40 PM IST

धौलपुर.कहते हैं, कि हौसले, जुनून और समर्पण की भावना हो तो कुछ भी असम्भव नहीं है. यह साबित कर दिखाया है, धौलपुर जिले के ग्रामीण अंचल के राजकीय प्राथमिक विद्यालय शेरपुर के संस्था प्रधान और अध्यापकों ने. जिन्होंने इस विद्यालय में हुए नामांकन से इसे पूरे भरतपुर संभाग में अव्वल बना दिया है.

धौलपुर में सरकारी स्कूल को दिया ट्रेन का आकार

प्रधानाध्यापक और स्कूली स्टाफ ने खुद एवं भामाशाह का सहयोग लेकर छात्र छात्राओं और स्कूल के लिए आधुनिक संसाधन जुटाकर कान्वेंट स्कूलों से बेहतर सुविधाएं जुटाकर सरकारी स्कूल को मॉडल बनाकर मिसाल पेश की है. स्कूल की पढ़ाई का स्तर भी बहुत शानदार है. बच्चे गणित और इंग्लिश में अव्वल प्रदर्शन कर रहे हैं.

अगस्त 2014 में हुआ था बंद

अगस्त 2014 में नामांकन कम होने पर सरकार ने प्राथमिक स्कूल शेरपुर को बंद कर दिया था. लेकिन ग्रामीणों की मांग पर कलेक्टर ने स्कूल को फिर से शुरू करा दिया. जिसमें संस्था प्रधान राजेश शर्मा को नियुक्त कर दिया गया. संस्था प्रधान शर्मा ने 5 साल तक कड़ी मेहनत कर स्कूल को जिले में मॉडल बना दिया है.

मिड डे मील के दौरान बच्चे

अलग पहचान

शेरपुर का राजकीय स्कूल शिक्षा विभाग के साथ जिले भर में अपनी अलग पहचान बनाये हुए है. संस्था प्रधान ने ग्रामीणों के सहयोग से स्कूल में सीसीटीवी कैमरे, हरा भरा गार्डन के साथ पूरा स्कूल भवन ट्रेन के लुक में छात्रों के आकर्षण का केंद्र बना दिया है. ट्रेन वाली स्कूल के रूप में चर्चित शेरपुर विद्यालय के छात्र छात्राओं की मदद के लिए बड़ी संख्या में भामाशाहों की ओर से भी दिल खोल कर सुविधाएं दी जा रही हैं.

स्कूल में बनी ट्रेन जैसी कक्षाएं

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कॉन्वेंट स्कूल से भी बेहतर ये स्कूल

स्कूल के विद्यार्थी प्राइवेट स्कूल से भी बेहरत दिखते हैं. स्कूल का नाम लिखा बैग, टाई बेल्ट, डिजिटल आई कार्ड एवं गुरुवार के दिन टी-शर्ट लोअर में किसी बड़े कॉन्वेंट स्कूल की तरह अप टू डेट नजर आते हैं. संस्था प्रधान राजेश शर्मा ने बताया, कि सरकार की ओर से अगस्त 2014 न्यून नामांकन की वजह से शेरपुर स्कूल को एकीकरण में बंद कर पड़ोसी स्कूल में मर्ज कर दिया गया था. जिसके बाद ग्रामीणों के आग्रह पर स्कूल को प्रशासन ने फिर से खुलवा दिया. स्कूल शुरू होने के बाद शेरपुर के ग्रामीणों और स्कूल के स्टाफ ने कड़ी मेहनत कर पांच बर्ष में 250 से अधिक का नामांकन कर जिले भर में सिरमौर बना दिया.

हरे भरे गार्डन में पढ़ाई करते बच्चे

स्कूल को दिया ट्रेन का लुक

संस्था प्रधान ने बताया कि स्कूल ग्रामीण क्षेत्र का होने के कारण बच्चों को ट्रेन बहुत पसंद थी. बच्चों की अभिलाषा को पुरा करने के लिए स्कूल की कक्षाओं को ट्रेन का रूप दिया गया है. स्कूल के बाहर कुशल पेंटरों ने ट्रेन की बोगियों का स्वरूप बनाया है. जिससे बच्चों की फिलिंग ट्रेन में बैठकर पढ़ाई करने की होती है और बच्चे अधिक मन लगाकर पढ़ाई करते हैं.

क्लासरूम में पढ़ाई के दौरान बच्चे

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गार्डन के साथ कालीन भी

स्कूल के बाहर बेहतरीन गार्डन बनाया गया है. जिसमें बच्चों को बैठने के लिए शानदार टेबल और कुर्सियां लगाई गई हैं. जिन पर बैठकर बच्चे मिडे डे मिल का खाना खाते हैं. कक्षाओं के अंदर कालीन बिछाई गई. जिस पर बच्चों को बिठाया जाता है. टीवी स्क्रीन पर बच्चों को आधुनिक पढ़ाई भी कराई जाती है. बच्चे काफी शालीन और अनुशासन का अनुशरण करते हैं. जिससे राजकीय प्राथमिक स्कूल शेरपुर ने जिले में अपनी विशेष पहचान बनाई है. जिसे देखने के लिए निजी स्कूल संचालक भी पहुंचते हैं.

स्कूल के छात्र-छात्राओं ने स्कूल को क्रमोन्नत करने की मांग की है. मौजूदा वक्त में स्कूल में प्राइमरी तक की कक्षाएं संचालित की जा रही है. स्कूल को मिडिल स्तर तक का दर्जा देने की विद्यार्थी मांग कर रहे हैं. वहीं स्कूल में भवन का अभाव भी बना हुआ है. जिसे लेकर विद्यार्थियों ने मांग की है.

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