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धौलपुर में कोरोना संक्रमण के मामले में आई भारी कमी, तीसरी लहर को लेकर चिकित्सा विभाग मुस्तैद - धौलपुर के कोरोना केस

धौलपुर में कोरोना की दूसरी लहर का ग्राफ धीरे-धीरे नीचे जा रहा है. वहीं, तीसरी लहर में बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा विभाग ने ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, दवाइयां और अन्य व्यवस्थाओं को अंतिम रुप देना शुरू कर दिया है.

धौलपुर में कोरोना केस हुए कम, Corona cases reduced in Dholpur
धौलपुर में कोरोना संक्रमण के मामले में आई भारी कमी

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Published : Jun 3, 2021, 4:35 PM IST

धौलपुर.जिले में 1 हफ्ते के अंतर्गत कोरोना महामारी का ग्राफ भारी नीचे आ गया है. जिससे जिला प्रशासन, चिकित्सा विभाग एवं आमजन ने राहत की बड़ी सांस ली है. जिला अस्पताल का कोविड सेंटर लगभग खाली हो चुका है. फिलहाल 12 के करीब आसपास मरीज भर्ती हैं. चिकित्सा विभाग की कड़ी मेहनत की बदौलत रिकवरी दर 98 प्रतिशत रही है. महामारी से मृत्यु दर का आंकड़ा भी 1 फीसदी से कम रहा है.

धौलपुर में कोरोना संक्रमण के मामले में आई भारी कमी

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महामारी की तीसरी लहर को लेकर जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग ने पहले से ही कमर कस ली है. विशेषज्ञों के मुताबिक तीसरी लहर को छोटे बच्चों के लिए घातक माना जा रहा है. जिसे लेकर पूर्व से ही चिकित्सा विभाग ने ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, दवाइयां और अन्य व्यवस्थाओं को अंतिम रुप देना शुरू कर दिया है.

अप्रैल के महीने में कोरोना महामारी ने ऐसा तांडव दिखाया कि पूरा देश में हाहाकार मच गया, लेकिन वर्तमान स्थिति में धौलपुर जिला लगभग कोरोना मुक्त होने वाला है. हालांकि मौजूदा वक्त में एक्टिव केसों की संख्या 162 है, लेकिन जिला अस्पताल के कोरोना वार्ड में करीब 12 रोगी भर्ती है. जिनका पूरी तरह से स्वस्थ बताया जा रहा है. अन्य एक्टिव केसों को होम आइसोलेशन कर घरों पर ही उपचार दिया जा रहा है. पिछले एक हफ्ते के दौरान संक्रमण में भारी गिरावट देखी गई है.

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चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने बताया दूसरी लहर के दौरान 10,976 एक्टिव केस मिले थे. जिनमें से उपचार कर 10,766 को चिकित्सा विभाग डिस्चार्ज कर चुका है. इनमें से कुछ एक्टिव केसों का जयपुर में उपचार किया जा रहा है. उन्होंने बताया वर्तमान परिस्थिति में महामारी पर पूरी तरह से अंकुश लगाया गया है. जिससे चिकित्सा विभाग एवं आमजन ने राहत की सांस ली है. चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य में दिक्कत होने पर तुरंत चिकित्सकों को दिखाएं. ग्रामीण झोलाछाप चिकित्सक और झाड़-फूंक से बचे.

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