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Sawan Chautha Somwar : सैपऊ महादेव मंदिर में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, कतारबद्ध होकर भक्तों की पूजा-अर्चना - सैपऊ महादेव मंदिर में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब

आज सावन का चौथा सोमवार है. देशभर के शिवालयों में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन व पूजन के लिए पहुंचे तो वहीं धौलपुर स्थित सैपऊ महादेव मंदिर में भी आस्था का जनसैलाब देखने को मिला.

Sawan Chautha Somwar
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Published : Jul 31, 2023, 2:22 PM IST

सैपऊ महादेव मंदिर में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब

धौलपुर. सावन के चौथे सोमवार को सैपऊ कस्बे के ऐतिहासिक महादेव मंदिर में सुबह 4 बजे से ही आस्था का जनसैलाब देखने को मिला. हजारों की तादाद में श्रद्धालु मंदिर के गर्भ गृह में कतारबद्ध होकर पूजा-अर्चना किए. वहीं, भक्तों की भीड़ को देखते हुए मौके पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई, ताकि कोई अनहोनी न हो और श्रद्धालु शांतिपूर्वक पूजा कर सके. इस दौरान यहां पूजा करने के लिए राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से भी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे.

मंदिर के महंत राम भरोसीपुरी ने बताया कि सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं आना जारी रहा तो वहीं हरिद्वार और सोरों से भारी संख्या में कावड़िए कावड़ लेकर पहुंचे. जिन्होंने भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक कर उन्हें गंगाजल अर्पित किया. साथ ही बेलपत्र, धतूरा, घृत और शर्करा से भी भोलेनाथ का अभिषेक किया.

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आगे उन्होंने बताया कि सुबह 4 बजे मंगला महाआरती की गई. इसके बाद श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया. राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से भारी तादाद में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे. वहीं, यहां आने वाले श्रद्धालुओं में पुरुष, महिलाओं के साथ ही बच्चे भी शामिल रहे. वहीं, इस बीच भक्तों की उमड़ती भीड़ को देखते हुए मौके पर सुरक्षा कारणों से पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई. ताकि मंदिर के गर्भ गृह में अफरा-तफरी का माहौल न बने. हालांकि, इस दौरान मुख्य मार्ग पर भारी जाम देखने को मिला.

साढ़े 700 वर्ष पुराना है ये ऐतिहासिक महादेव मंदिर -सैपऊ कस्बे का ऐतिहासिक महादेव मंदिर करीब साढ़े 700 वर्ष पुराना है. ये मंदिर देश में रामेश्वरम के बाद दूसरा भव्य मंदिर है और यहां के शिवलिंग को एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है. लगभग 300 वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण कीरत सिंह महाराज के वंशजों ने कराया था. पौराणिक मान्यता के मुताबिक त्रेता युग में विश्वामित्र ऋषि ने भी यहां तपस्या की थी. यहां महाशिवरात्रि और सावन के महीने में विशेष धार्मिक अनुष्ठान व आयोजन किए जाते हैं.

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