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धौलपुर: नसबंदी कराने पहुंची महिलाओं का कर दिया ऑपरेशन - Operation done for women who reached sterilization

केंद्र सरकार की ओर से देश के 110 आशान्वित जिलों को लेकर तरह-तरह की योजनाएं बनाई जा रही है. जिनकी मॉनिटरिंग खुद इन जिलों के जिला कलेक्टर कर रहे है. बता दें कि धरातल पर कैसे तमाम योजनाएं दम तोड़ देती है. इसकी बानगी धौलपुर जिले के कंचनपुर गांव में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम में देखने को मिली.

Dhaulpur news, धौलपुर की खबर

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Published : Nov 6, 2019, 3:30 AM IST

बाड़ी (धौलपुर).केंद्र सरकार की ओर से देश के 110 आशान्वित जिलों को लेकर तरह-तरह की योजनाएं बनाई जा रही है. जिनकी मॉनिटरिंग खुद इन जिलों के जिला कलेक्टर कर रहे है. बता दें कि धरातल पर कैसे ये तमाम योजनाएं दम तोड़ देती है. इसकी बानगी धौलपुर जिले के कंचनपुर गांव में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम में देखने को मिली. धौलपुर जिले की उप तहसील कंचनपुर में राष्ट्रीय परिवार नियोजन को लेकर एक ऐसा ही मामला सामने आया हैं. जिसका खामियाजा 3 हजार रुपए मासिक वेतन ले रही आशा सहयोगिनी के साथ एएनएम को भी भुगतना पड़ा.

कंचनपुर में आयोजित राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम

बता दें कि केंद्र सरकार की योजना राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत धौलपुर जिले में नसबंदी के लिए अलग-अलग जगह पर शिविर लगाए गए थे. जिले के कंचनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर लगाए गए शिविर में नसबंदी के लिए पहुंची महिलाओं को बाड़ी राजकीय सामान्य चिकित्सालय से आने वाले स्त्री रोग विशेषज्ञ का घंटों इंतजार करना पड़ा. स्त्री रोग विशेषज्ञ के शिविर में ना पहुंचने पर उनके इंतजार में बैठी टीम ने विशेषज्ञ से पूछा तो उन्होंने खुद को बाड़ी राजकीय सामान्य चिकित्सालय में व्यस्त बता दिया.

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इस दौरान जैसे ही मामले की जानकारी कंचनपुर स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ जितेंद्र त्यागी को मिली तो उन्होंने अपनी गाड़ी से नसबंदी कराने पहुंची महिलाओं को बाड़ी सामान्य चिकित्सालय पहुंचाया. जहां परिवार नियोजन कार्यक्रम को लेकर लापरवाह दिखे स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ शिवदयाल मंगल ने नसबंदी कराने पहुंची महिलाओं का ऑपरेशन कर दिया.

इतना ही नहीं नसबंदी कराने के बाद तो हद ही हो गई, जब जिम्मेदार डॉ शिवदयाल मंगल ने महिलाओं को वापस छोड़ने से मना कर दिया. एंबुलेंस की हड़ताल होने की वजह से नसबंदी कराने पहुंची महिलाओं के साथ आई एएनएम और आशा सहयोगिनी ने खुद की तनख्वाह से 6 सौ रुपये खर्च कर किराए की एंबुलेंस गाड़ी से महिलाओं को उनके घर तक छुड़वाया. वहीं लापरवाह चिकित्सक की शिकायत करने पर आला अधिकारियों ने पल्ला तक झाड़ लिया.

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