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पुलवामा का 'दर्द' : धौलपुर के शहीद भागीरथ के परिजनों के जख्म आज भी हरे....

14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर अबतक के सबसे बड़े आत्मघाती हमले को अंजाम दिया था. जिसमें CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे. इस घटना को अब एक साल होने जा रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत शहीदों के परिजनों तक पहुंचा और उनका हालचाल जाना. देखिए धौलपुर से स्पेशल स्टोरी...

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पुलवामा हमले का एक साल

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Published : Feb 10, 2020, 1:07 PM IST

Updated : Feb 10, 2020, 6:56 PM IST

धौलपुर.14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में धौलपुर जिले के शहीद हुए लाल भागीरथ के परिजनों की आंखें आज भी नम बनी हुईं हैं. शहीद भागीरथ की पत्नी से लेकर पिता, भाई और बच्चे सभी एक साल बाद भी पुलवामा आतंकी हमले को याद कर सहम जाते हैं, हालांकि बेटे ने देश के लिए शहादत दी है. जिसका परिवार को आज भी फक्र है.

पुलवामा हमले का एक साल, धौलपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

राजस्थान के 5 जवानों ने दी थी शहादत
पुलवामा आतंकी हमले को 14 फरवरी को एक साल पूरा होने जा रहे है. जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे. इस अटैक में राजस्थान के 5 जवानों ने शहादत दी थी. जिसमें धौलपुर जिले का सपूत भागीरथ भी था. ईटीवी भारत की टीम ने शहीद भागीरथ के परिवार से रूबरू होकर भागीरथ की यादों को जाना.

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शहीद भागीरथ की पत्नी

शहीद की पत्नी का जख्म आज भी हरा
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में आतंकी हमले में धौलपुर जिले के राजाखेड़ा थाना इलाके के गांव जैतपुर निवासी सैनिक भागीरथ शहीद हुए थे. एक साल का समय गुरजने के बाद भी शहीद भागीरथ की पत्नी खुद को संभाल नहीं सकी हैं. जब शहीद की पत्नी रंजना को भागीरथ की याद आती है तो आंखें आंसुओं से नम हो जाती है.छोटे बच्चे पापा को याद कर रो पड़ते हैं.

शहीद भागीरथ की फाइल फोटो

घोषणाएं रह गईं सिर्फ घोषणा
शहीद भागीरथ की पत्नी रंजना ने बताया, कि तत्कालीन समय पर सरकार ने भागीरथ के नाम से स्कूल खोलने की घोषणा की थी, लेकिन सिर्फ घोषणा तक सीमित रह गई. उसके अलावा शहीद भागीरथ के नाम का स्मारक बनाया है. जिसके लिए प्रशासनिक तौर पर अनुदान नहीं दिया गया है. खुद के खर्चे पर मूर्ति भी खरीदी गई. जिसे 14 फरवरी 2020 को स्मारक स्थल पर स्थापित किया जाएगा.

शहीद भागीरथ की फाइल फोटो

शहीद भागीरथ के छोटे-छोटे 3 बच्चे
शहीद भागीरथ के तीन बच्चे हैं. जिनमें पुत्र विनय 3 साल, शिवांगी ढाई साल और भागीरथ की शहादत के बाद जन्मी कामिनी 3 महीने की है. बच्चों की परिवरिश की जिम्मेदारी रंजना पर है. गांव से 20 किलोमीटर दूर राजाखेड़ा कस्बे में बच्चों को पढ़ने के लिए भेजा जाता है, शहीद की पत्नी ने बताया, कि बच्चों को पढ़ा-लिखा कर मुकाम तक पहुंचना उनका संकल्प है. इसके लिए शहीद का परिवार सरकार की ओर आस लगाए बैठा है.

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बेटे की शहादत पर फक्र
वहीं भाई बलबीर सिंह ने बताया, कि भागीरथ के शहीद होने के बाद परिवार टूट चुका है, बच्चे उनको बहुत याद करते हैं. याद आने पर भाभी भी रुआंसी हो जाती हैं.

शहीद भागीरथ की फाइल फोटो

वहीं शहीद भागीरथ के भाई बलबीर सिंह ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है. उनका कहना है, कि स्मारक और मूर्ति के लिए अनुदान नहीं दिया गया है. भागीरथ के नाम से स्कूल खोलने की घोषणा की गई थी, वो भी धरी की धरी रह गई. भाई को बिछड़ने का पूरे परिवार को मलाल है. लेकिन भागीरथ ने देश के लिए शहादत दी है, जिसे लेकर पूरे परिवार को फक्र है.

Last Updated : Feb 10, 2020, 6:56 PM IST

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